दिनांक 30 अक्टूबर 2020
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – अश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी शाम 05:45 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – रेवती दोपहर 02:57 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – वज्र 31 अक्टूबर प्रातः 03:33 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल – सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक
सूर्योदय – 06:41
सूर्यास्त – 18:03
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – शरद पूर्णिमा (खीर चन्द्रकिरणों में रखें), माणेकठारी-कोजागरी पूर्णिमा
विशेष – चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग
वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम (30 अक्टूबर 2020) शुक्रवार की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।
वास्तु शास्त्र
गुलाब, चंपा व चमेली के पौधे घर में लगाना अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे मानसिक तनाव व अवसाद में कमी आती है।
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है | इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है
शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति
शरद पूनम रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।