मथुरा। कोरोना से जंग में सरकार की पीड़ितों की मदद की अपील को कुछ लोगों ने नैतिकता को ताक रखकर खूब भुनाया है। सिर्फ मीडिया में वाहवाही लूटने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई, कुछ ने चेक की फोटोस्टेट कॉपी भी डीएम को भेज दी। डिप्टी कलक्टर की जांच के जो खुलासे हुए है वो बेहद चौकाने वाले है।
दीपक गौड़ ने आईडीबीआई बैंक के चेक की जो फोटो स्टेट डीएम को भेजी थी और फेसबुक पर वायरल किया था, उसमें मात्र 1995.25 रुपये निकले, जबकि चेक दो लाख रुपये का था। जांच अधिकारी डिप्टी कलक्टर राजीव उपाध्याय को बैंक के सहायक महाप्रबंधक ने अपनी आख्या में अवगत कराया है कि जो चेक दिया गया है वो खाता गौड़ प्रोपर्टी डीलर के नाम संचालित किया जाता है। लेकिन एक मार्च के बाद इस खाते में कोई धनराशि हस्तांतरित नहीं की गई है। 29 मार्च को जारी चेक के लिए खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं है।
जांच रिपोर्ट में विभोर गौतम द्वारा 26 मार्च को सायं तीन बजे सोशल मीडिया पर कोटक महिंद्र बैंक का एक लाख का चेक डाला गया था। इसे उन्होंने मुख्यमंत्री राहत में कोष में देने की बात कही। बैंक प्रबंधक प्राची शर्मा ने अपनी लिखित आख्या में जांच अधिकारी को बताया कि जिस खाते का चेक जारी किया गया है वो तो 15 सितंबर 2017 से ही बंद है।
वहीं कोसीकलां निवासी राजकुमार रावत ने एक लाख रुपये की मदद करते हुए अपना फोटो व चेक फेसबुक पर पोस्ट किया था। उनका एचडीएफसी बैंक का खाता ही बंद निकला। इस संबंध में एसएसपी गौरव ग्रोवर ने सीओ सिटी आलोक दुबे को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिए हैं। सीओ सिटी ने बताया कि सभी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। रावत सत्ताधारी दल से जुड़े बताए जा रहे है। तीनों ही मामलों में प्रशासन गंभीर है, रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।