सरसों में बंफर तेजी से किसानों के चेहरे खिल उठे है। सरसों की फसल मार्च के महीने में बाजार में आती है उस समय इसकी कीमत 3200-3600 रूपए प्रति क्विंटल थी। हालांकि सरकार ने सरसों का समर्थन मूल्य 4425 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया था। लेकिन बाजार के हालात बदतर थे। लाॅकडाउन की घोषणा के बाद तो बाजार से ग्राहक ही गायब हो गया। इस बीच पहले राजस्थान और फिर हरियाणा में सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर नेफेड ने खरीद शुरू कर दी। इसके बाद तो मंडियों में सरसों के भावों को पंख लग गए। वर्तमान में बाजार में सरसों की कीमत 4300 से 4500 रूपए प्रति क्विंटल है। सरसों की कीमत में तेजी के कई मजबूत आधार है, ऐसे में बाजार के जानकार इसमें मंदी की संभावना कम बता रहे है…….
नेफेड ने खरीद ली 7 लाख टन सरसों
1-कमोडिटी बाजार की रिपोर्ट देने वाले समाचार पत्र व्यापार केसरी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार नेफेड ने यूपी, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश की मंडियों से सरसों की रिकाॅर्ड खरीदारी की है। ये आंकड़ा 7 लाख टन के करीब है। सरकारी समर्थन मूल्य पर इतनी भारी-भरकम खरीद होने के बाद बाजार में माल की उपलब्धता पर असर पड़ा है। ऐेसे में व्यापारी भी ऊंचे भावों पर खरीद कर रहे है।
2-लाॅकडाउन के चलते किसानों ने खेत से सरसों को अपने घर में रख लिया है। इसके चलते मंडियों में आवक कम हो रही है। मांग और आपूर्ति में अंतर इसकी कीमतों में लगातार इजाफा कर रहा है।
3-सट्टा बाजार में सरसों, सोयाबीन सहित सभी खाद्य तेलों का भविष्य तेज बताया जा रहा है। इसके चलते बाजार से बिकवाल लगभग गायब है।
4-देश में लाॅकडाउन और कर्फयू के चलते लोगों ने सरसों के तेल की अधिक खरीदारी की है, ताकि दैनिक जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सके।
5-जिन देशों से खाद्य तेलों का आयात होता था, कोरोना के चलते वो बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, ऐसे में मांग और आपूर्ति का समीकरण गड़बड़ाया है।