मथुरा। दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर दी है। इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि 07 जून 2020 को जारी आदेश को पूण रूप से खारिज किया जाए। दरअसल दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आदेश जारी कर दिल्ली के बाहर के लोगों के इलाज को दिल्ली के अस्पतालों में रुकवा दिया था, जिस पर दिल्ली सरकार के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कोविड 19 मरीजों का इलाज दिल्ली के अस्पतालों में जारी रखने को कहा था । याचिकाकर्ता अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी के अनुसार कोविड 19 के इलावा अन्य मरीजों के बारे में कुछ भी साफ नहीं है, लिहाजा उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में दिल्ली सरकार के इलाज ना करने वाले आदेश को निरस्त करने की मांग की है ।
याचिकाकर्ता के अनुसार दिल्ली सरकार का आदेश भारतीय संविधान की धारा 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण का साफ साफ उलंघन है। भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है । दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश में कैंसर, एक्सीडेंट व अन्य कुछ इलाजों के लिए छूट दी गई थी जिसके बाद दिल्ली सरकार के गवर्नर एलजी ने कोविड 19 मरिजों के इलाज की भी मंजूरी दे दी थी, लेकिन बाकी अन्य बीमारियों को लेकर अभी भी संशय जारी है ।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी की तरफ से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड नामित सक्सेना व शुभम जैसवाल ने मामले को दाखिल किया और बताया कि दिल्ली सरकार का आदेश भारतीय संविधान की धारा 14, 15, 19 व 21 को दरकिनार कर दिया गया है। निजी अस्पतालों से यह कहना कि दिल्ली के लोगों को ही इलाज मुहैया कराया जाए भी भारतीय संविधान के विरुद्ध है, वहीं एपिडेमिक एक्ट भी दिल्ली सरकार को इस तरह के आदेश जारी करने की स्वतंत्रता नहीं देता है।