रिपोर्ट – विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। बरसात से ठीक पहले शहर के नाले, नहर, बंबों की सफाई का सच बेहद कड़वा होता है। इस बार ये काम यमुना की सफाई के नाम पर हो रहा है। नगर निगम ने अपने संसाधन लगाए है तो एनजीओ यमुना मिशन इस कार्य के नाम पर अपनी ब्रांडिंग कर रहा है। एक बरसात इस पूरे खर्चे को बहाकर ले जाएगी, लगता तो ये है कि सबको इस बरसात का बेसब्री से इंतजार है।
बरसात से ठीक पहले नालों, नहर और बंबों की सफाई का सच कौन नहीं जानता। सफाई के लिए मोटी धनराशि के टेंडर डाले जाते है, बरसात से ठीक पहले युद्ध स्तर पर सफाई शुरू करने का ढोंग शुरू होता है और फिर एक बरसात पूरे कारनामे पर पर्दा डाल देती है।
इस बार ये खेल यमुना की सफाई के नाम पर हो रहा है, लेकिन कुछ अलग ढंग से खेला जा रहा है। नगर निगम ने अपनी पोकलेन मशीन, जेसीबी और मानव संसाधन लगाकर यमुना की सिल्ट को घाट किनारे ही इकठ्ठा कर दिया है। इधर इस पूरे काम को लेकर एनजीओ यमुना मिशन द्वारा ब्रांडिंग की जा रही है। अपने फाॅलोअर्स और दानदाताओं को दिखाया ये जा रहा है कि एनजीओ कितना बेहतर कार्य कर रहा है जबकि संसाधन निगम ने झोंक रखे है। इस एनजीओ के कारनामों पर पहले भी कई गंभीर सवाल उठ चुके है। प्रशासन ने संज्ञान भी लिया लेकिन लखनऊ से एक फोन आने पर पूरा मामला रफा दफा हो गया।
बहरहाल जानकार भी सफाई के इस कार्य के समय को लेकर सवाल उठा रहे है। उनका कहना है कि अगर सफाई ही करनी थी तो ये कार्य मार्च तक पूरा हो जाना चाहिए था। सिल्ट यमुना के किनारे पर जमा है और सिर पर बरसात तैयार है। ऐसे में एक बरसात सिल्ट को एक बार फिर यमुना में बहाकर ले जाएगी। रही सही कसर बरसात के बाद यमुना में बढ़ा जलस्तर कर देगा। ऐसे में अब इस पूरे अभियान के मायने अब आम आदमी की समझ में आ रहे है।
भटक रहे है श्रद्धालु, लोगों में संक्रामक रोगों का डर
यमुना के सैंकड़ों भक्त नियमित दर्शन करने आते है, पूजा अर्चना और दुग्धाभिषेक करते है। सफाई के नाम पर सिल्ट को यमुना के किनारों पर इकठ्ठा किया जा रहा है ऐसे में भक्त घाटों पर दुर्गध के कारण खड़े भी नहीं हो पा रहे है। घाट और यमुना के बीच सिल्ट के चलते आचमन भी नहीं ले पा रहे है। लोगों में संक्रामक रोग फैलने का डर पनप रहा है।
पानी को छलनी में छानने जैसा है अभियान
ये सर्वविदिन है कि यमुना में 21 नाले सीधे गिर रहे है। एसटीपी प्लांट के ओवर फ्लो होने के बात भी आम है। इन नालों के जरिए शहर की सिल्ट यमुना में समा रही है। इन नालों की टेपिंग को लेकर नगर निगम ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है। एक तरफ नालों का गिरना जारी है और यमुना से सिल्ट सफाई की बात कही जा रही है। ऐसे में ये अभियान पानी को छलनी (छेददार थाली) में छानने जैसा है, जिसमें शेष कुछ नहीं रहता।