ब्रज क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार बृज भाषा के प्रसिद्ध कवि स्वतंत्रा सेनानी देवकी नंदन कुम्हेरिया का मंगलवार को गोवर्धन में उनकी सेहत खराब होने के चलते निधन हो गया। 85 वर्ष की आयु में उन्होंने आखरी सांस ली। कुम्हेरिया जी जी काफी दिनों से सेहत खराब चल रही थी। देवकीनंदन कुम्हेरिया जी के निधन पर ब्रज वासियों और ब्रज साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। ब्रज भाषा व साहित्य प्रेम देवकीनंदन कुम्हेरिया जी के ह्रदय व कण कण में बसा हुआ था हास्य रस के विख्यात कवि के रूप में उनकी पहचान थी ब्रज साहित्य पर उन्होंने कई पुस्तकें लिखी थी उनकी प्रमुख कविता हम फागुन में ससुराल गए काफी लोकप्रिय रही।
हास्य कवि के रूप में प्रसिद्ध देवकीनंदन कुम्हेरिया जब किसी मंच पर जाते थे तो तालियों से मंच गूंज उठता था और उनकी हास्य भरी कविताओं से लोग खूब आनंदित हुआ करते थे कुम्हेरिया जी ने श्री गिरिराज चालीसा की रचना की जिसे लोग आज भी पड़ते करते हैं। देवकीनंदन कुम्हेरिया स्वतन्त्रता सेनानी थे कांग्रेस के इमरजेंसी काल में जेल में भी रहे थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य थे आरएसएस के शिशु विद्या मंदिरों के अध्यक्ष जी रहे ।
ब्रजभाषा के प्रसिद्ध कवि देवकीनंदन कुम्हेरिया जी बहुमुखी प्रतिभाबान व्यक्तित्व थे। सन 1961 में उन्होंने सैनिक अखबार का संपादन किया था दैनिक जागरण , अमर उजाला पंजाब केसरी जैसे अखबारों से जुड़े रहे। वह शुरू से ही ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े रहे उनकी कविताएं उनके लेख आज भी उनकी याद दिलाते हैं। ब्रज भाषा के साहित्य में उनका योगदान बेहद सरहानीय है। ब्रज साहित्य पर उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं उनके द्वारा कई स्वांग भी लिखे गए समय-समय पर जिनका मंचन किया जाता रहा है।
देवकीनंदन कुम्हेरिया जी बेहद खुश विश्वास के थे हमेशा बच्चों के साथ घुलमिल कर रहा करते थे और बच्चों को हमेशा एक ही शिक्षा दिया करते थे कि हमें अपनी संस्कृति को कभी भूलना नहीं चाहिए उनकी पत्नी लक्ष्मी की उनकी कविताओं में प्रेरणा थी उनके आखिरी समय में भी हुए बेहद प्रेम पूर्ण रहे थे। ब्रजभाषा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि देवकीनंदन कुम्हेरिया जी के निधन पर ब्रज वासियों को ब्रज भाषा के साहित्य एवं कविताओं में रुचि रखने वालों को उन्हें उनकी कमी खलती रहेगी