बरसाना, नंदगांव, मथुरा एवं गोकुल की होली के बाद दाऊजी में हुरंगा हुआ। नंगे बदन पर कोड़ों की मार देखने के लिए यहां हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालु उमड़े। हुरंगा के नायक शेषावतार दाऊजी महाराज हैं। दाऊजी के हुरंगा की अनूठी परंपरा है। कहावत है कि ‘देखि-देखि या ब्रज की होरी, ब्रह्मा मन ललचाबै।’ ब्रज की होली भगवान श्रीकृष्ण पर केंद्रित है, वहीं, दाऊजी का हुरंगा उनके बड़े भाई बलदेव जी पर केंद्रित है। हुरंगा में पुरुष गोप समूह को महिलाएं गोपिका स्वरूप द्वारा प्रेम से भीगे पोतने (कोड़ों) की मार नंगे बदन पर खाते हैं
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