मथुरा। तिब्बत के धर्म गुरु दलाई लामा अपने दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे, यहां पर गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में गुरुकुल के छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मंत्रोचार के साथ दलाई लामा का चरण अभिषेक और आरती उतारी गई।
मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा भारत की संस्कृति वर्षों पुरानी है। इसे बचाए रखना भारत के लिए एक चुनौती है। विश्व में सबसे बड़ी संस्कृति के तौर पर भारत की पहचान बनी है। भारत में जो विद्वानों ने भारत की रचना, संस्.कृत, बौद्ध भाषा में की है। अनेक विद्वान भारत में आए और इसकी खोज की गई। नालंदा विश्वविद्यालय में आज भी कई साक्ष्य प्रमाणित हैं। भारत की संस्.कृति काफी प्राचीन मानी जाती है। दुनिया भर में भारत की पहचान एक संस्कृति के तौर पर मानी गई है। तिब्बती गुरु ने कहा अहिंसा और करुणा का उदाहरण भारत में ही देखने को मिलता है।
दलाई लामा ने कहा पांच प्रमुख विधाएं हैं शब्द विद्या, चिकित्सा विद्या, बौद्ध दर्शन विद्या, मनोवैज्ञानिक विद्या, संस्.कृत आॅफ बौद्ध भाषाओं में इनकी रचना की गई है। भारत देश करुणा, अहिंसा और सद्भावना के साथ मिलकर एक जीता जागता उदाहरण पूरे दुनिया के सामने हैं। भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। सद्भावना अहिंसा और करुणा का एक उदाहरण भारत में देखने को मिलता है।
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा, भारत विश्व के सामने सद्भावना अहिंसा और करुणा का उदाहरण
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