Saturday, November 23, 2024
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चंदन तिलक लगाने की है प्राचीन परंपरा

रिपोर्ट – अरुण यादव

वृंदावन। ब्रज में चंदन लगाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। विशेषकर सनातन धर्म के लोगों में प्राचीन मान्यता के अनुसार माथे को सूना नहीं रखा जाता है। किसी न किसी प्रकार का तिलक अथवा चंदन अवश्य लगाना चाहिए। इसीलिए पूजा पाठ व धार्मिक कार्यक्रमों के समय माथे पर टीका लगाने की परंपरा है। यूं तो दुनिया भर में वैष्णव साधक चंदन का माथे पर लेप कर तिलक लगाते हैं। अब बात करें भक्तों के माथे पर लगे अलग-अलग प्रकार के तिलक की तो इन्हें देखकर कुछ लोगों को इसके बारे में जानने के लिए उत्सुकता बनी रहती है। हम आपको बता दें कि विभिन्न संप्रदायों के तिलक भी अलग अलग होते हैं। राधावल्लभ संप्रदाय से जुड़े भक्त अपने माथे पर तिलक के साथ लाल व श्याम रंग की बिंदी लगाते हैं। गौड़ीय संप्रदाय में पारंपरिक तिलक लगाया जाता है तो राधारमण मंदिर के सेवायत व शिष्य नाक के कुछ नीचे तक तिलक लगाते हैं। जबकि हरिदासी संप्रदाय में नाक के अगले भाग तक लंबा तिलक लगाते हैं। वहीं रामानंदी संप्रदाय में चौड़े तिलक के साथ माथे पर दो लाइनों के मध्य में श्वेत चंदन भी लगाने की परंपरा है तो वहीं रामानुज संप्रदाय के साधक लाल चंदन का ही तिलक लगाते हैं।

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