मथुरा। जेल प्रशासन व खजानी वेलफेयर सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में जेल में सांझी कला का विधिवत प्रशिक्षण शुरू हो गया है। जिसका उद्देश्य सलाखों के पीछे रहने वाले कैदियों के अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाना और क्षेत्रीय परंपरागत कला को अधिक से अधिक फैलाना है। जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रय ने बताया कि आज से जेल में आरंभ हुए पाठ्यक्रम में कैदियों ने भाग लिया और सांची की बारीकियों को हेमंत रूबाला और सुरेश के मार्गदर्शन में सीखा।सांची बृज क्षेत्र की एक पारंपरिक कला है जो अब धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है इस कला का प्रयोग रंगोली बनाने, ठाकुर जी की पिछवाई बनाने और घरों में सजावट के लिए किया जाता था। एक बार फिर से इस कला को एक नए रूप में दुनिया के सामने लाने का प्रयास जेल प्रशासन व खजानी वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारी कर रहे हैं।जेल में इस कला का प्रयोग पेंटिंग बनाने के लिए किया जाएगा जिसका बाद में निर्यात करने का प्रयास किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग मथुरा की इस कला से जुड़ पाए और इन कैदियों को अपने हुनर का सही सदुपयोग करने का अवसर मिले।
खजानी की सचिव शिप्रा राठी ने बताया कि सांझी ना केवल एक कला है वरन् हमें आप आप से भी जोड़ती भी है। इसको करने से एक विशेष प्रकार की सुखद अनुभूति होती है और हमारा तनाव भी काफी हद तक कम हो जाता है। जेल में बंद कैदी के लिए यह कला एक रोशनी लेकर आएगी और इससे जुड़ने के बाद अपने मानसिक तनाव से दूर होकर अपने जीवन को एक सकारात्मक रूप में जी पाएंगे।
इस अवसर पर सोसायटी के पदाधिकारियों द्वारा महिला जेल में बंद कैदियों के नन्हे-मुन्ने बच्चों को बिस्कुट, टॉफी, चिप्स आदि के पैकेट बांट के नव वर्ष की शुभकामनाएं भी दी और उन्हें बताया कि नए साल में अपने स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखा जाए।
इस अवसर पर जेल पदाधिकारी अरविंद कुमार पांडे व सी एम तिवारी जी उपस्थित रहे। खजानी के ओर से शोभित माहेश्वरी व विकास राठी भी ने भी कैदियों को नववर्ष की शुभकामनाएं दी।
हुनर सीखेंगे जेल के बंदी, खजानी वेलपफेयर सोसायटी की पहल
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