मथुरा। बाबा जयगुरुदेव महाराज का निधन स्वाभाविक नहीं था। वह अपने निकटस्थ धोखेबाज लोगों के षड्यंत्र का शिकार हुए हैं। धोखेबाजों का लक्ष्य उत्तराधिकारी बनकर संस्था और ट्रस्ट की संपत्तियों पर कब्जा करना था। षड्यंत्र में तत्कालीन सत्तारुढ़ पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी शामिल रहा है। उक्त आरोप संत स्वामी तुलसीदास महाराज और जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के उपाध्यक्ष रामप्रताप ने लगाए है।
उन्होंने बताया कि 18 मई 2012 को मेदांता हॉस्पिटल ने बाबा जयगुरुदेव को डिस्चार्ज करके अन्य अस्पताल ले जाने को कहा था, लेकिन चरण सिंह और पंकज यादव वेंटीलेटर एंबुलेंस से सीधे मथुरा ले आए। यहां पर रात को बाबा के देह त्यागने की घोषणा कर दी, जबकि बाबा जयगुरुदेव को विदेश भी एयर एंबुलेंस से ले जाकर बढ़िया इलाज कराया जा सकता था।
तत्कालीन सत्तारुढ़ पार्टी के इशारे पर पंकज यादव को काबिज करा दिया गया, जबकि पंकज का संस्था और ट्रस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। पंकज यादव के साथ उमाकांत तिवारी भी कब्जा करने में शामिल रहे। अधिवक्ता प्रदीप राजपूत ने बताया कि पंकज यादव और उमाकांत तिवारी संस्था के बैंक खातों का बखूबी इस्तेमाल करते रहे। वहीं नए खाते भी खुलवाकर संचालन कर रहे हैं। स्वयंभू संस्था का पदाधिकारी बताकर यह षड्यंत्र रचा गया।
बाबा जयगुरुदेव की मौत पर उठाए सवाल, बताया षडयंत्र, जयगुरूदेव धर्मप्रचारक संस्था के उपाध्यक्ष रामप्रताप के आरोप
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