मथुरा। अपने हक के लिए करीब दो दशक से सरकारी व्यवस्था से जूझ रहे वरिष्ठ नागरिक ने उसके मामले में लगातार उदासीनता बरत रहे डीएम और जिम्मेदार अधिकरियों पर आत्मदाह के लिए विवश करने का आरोप लगाया है। इस आशय की शिकायत मुख्यमत्री पोर्टल पर, तहसील दिवस में दर्ज कराई गई है। इससे पहले पीड़ित ने गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के नीचे आत्मदाह करने का चेतावनी पत्र भी जिला प्रशासन को सौंपा है।
ये है पूरा मामला..
गऊघाट निवासी राम गोपाल बीते दो दशक से अपनी जमीन के लिए प्रशासन से जूझ रहे है। करीब दो दशक पहले तत्कालीन अधिकारियों ने उनकी जमीन की फर्जी सरकारी नीलामी कर दी। नीलामी से दो साल पहले तहसीलदार की जांच में संग्रह अमीन ने जो रिपोर्ट लगाई उसमें जमीन को भार मुक्त (नो ड्यूज) का सर्टिफिकेट दिया गया। बाबजूद इसके अधिकारियों ने भूमाफियाओं से सांठगांठ की और जमीन की नीलामी करके उस पर खरीददार को कब्जा दिला दिया गया। पीड़ित ने सरकारी दस्तावेजों के आधार पर उक्त नीलामी को फर्जी साबित कर दिया। जन सूचना अधिकार अधिनियम से कई ऐसे अहम दस्तावेज जुटाए जिन्होंने अधिकारियों की कारगुजारी से पर्दा उठा दिया। एडीएम की जांच में तत्कालीन तहसीलदार राजीव पांडेय पर दोष भी सिद्ध हो गया। लेकिन अधिकारी पीड़ित को न्याय दिलाने के स्थान पर पूरे मामले की लीपापोती करते रहे, टरकाते रहे। पीड़ित के ही एक अन्य मामले में अपर जिला अधिकारी वित्त न्यायालय के आदेशों को भी अधीनस्थ अधिकारी मानने को तैयार नहीं है।
सुरीर में दंपत्ति के आत्मदाह, राया में समाधान दिवस में जहर खाने की घटनाओं के बाद भी बेपरवाह अफसर
न्याय के लिए सुरीर थाने में दंपत्ति का आत्मदाह, राया थाने के समाधान दिवस पर पीड़ित के जहर खाने जैसी घटनाओं ने आम जनमानस के रौंगटे खड़े कर दिए। लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली अब भी जस की तस बनी हुई है। ऐसे में पीड़ित न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है। पीड़ित रामगोपाल ने बताया उन्होंने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर सभी दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज कराई लेकिन उन्होंने मामले की जांच उन्हीं अधिकारियों को सौंप दी जो पहले ही उसे गुमराह कर रहे थे।