मथुरा। न्याय के लिए दर भटक रहे बुजुर्ग आरटीआई कार्यकर्ता को पुलिस ने शनिवार को हिरासत में ले लिया। सुबह से शाम तक थाने में बैठाया और फिर छोड़ने के लिए अजीबोगरीब शर्त रख दी। देर सायं तक थाने पर मौजूद नगर मजिस्ट्रेट से बुजुर्ग के परिजन उन्हें छुड़ाने की गुहार लगा रहे थे।
गऊघाट निवासी राम गोपाल बीते दो दशक से अपनी जमीन के लिए प्रशासन से जूझ रहे है। करीब दो दशक पहले तत्कालीन अधिकारियों ने उनकी जमीन की फर्जी सरकारी नीलामी कर दी। नीलामी से दो साल पहले तहसीलदार की जांच में संग्रह अमीन ने जो रिपोर्ट लगाई उसमें जमीन को भार मुक्त (नो ड्यूज) का सर्टिफिकेट दिया गया। बाबजूद इसके अधिकारियों ने भूमाफियाओं से सांठगांठ की और जमीन की नीलामी करके उस पर खरीददार को कब्जा दिला दिया गया। पीड़ित ने सरकारी दस्तावेजों के आधार पर उक्त नीलामी को फर्जी साबित कर दिया। जन सूचना अधिकार अधिनियम से कई ऐसे अहम दस्तावेज जुटाए जिन्होंने अधिकारियों की कारगुजारी से पर्दा उठा दिया। एडीएम की जांच में तत्कालीन तहसीलदार राजीव पांडेय पर दोष भी सिद्ध हो गया। लेकिन अधिकारी पीड़ित को न्याय दिलाने के स्थान पर पूरे मामले की लीपापोती करते रहे, टरकाते रहे। पीड़ित के ही एक अन्य मामले में अपर जिला अधिकारी वित्त न्यायालय के आदेशों को भी अधीनस्थ अधिकारी मानने को तैयार नहीं है। अधिकारियों की मनमानी से हताश पीड़ित ने शनिवार को सुबह एडीएम को गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को आत्मदाह करने का संकल्प लेने की चिठ्ठी दी।
बुजुर्ग के पुत्र अशोक राजपूत ने बताया कि पुलिस कर्मियों ने बुजुर्ग को थाना गोविंदनगर में बैठा लिया। पहले तो मामला समझने के लिए उनसे सभी दस्तावेज ले लिए, देर सायं थाने पर नगर मजिस्ट्रेट भी पहुंच गए। न्याय दिलाने के स्थान पर उन्होंने बुजुर्ग पिताजी रामगोपाल को छोड़ने के लिए अजीबो गरीब शर्त रख दी। कहा गया कि वो मोहल्ले के दो जिम्मेदार लोगों को लेकर आए तभी छोड़ा जाएगा।
न्याय मांग रहे बुजुुर्ग को पुलिस ने हिरासत में लिया, वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे
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