-अतिक्रमण पर मंडी निदेशक के पत्र के बाद मंडी सचिव अपनी टीम को लेकर पहुंचे, हंगामा
रवि यादव/सुनील सिंह
मथुरा। अतिक्रमण को लेकर मंडी परिषद के निदेशक जितेंद्र प्रसाद सिंह के कड़े पत्र ने व्यापारियों ही नहीं मंडी प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है। मंगलवार को मंडी सचिव अपनी टीम के साथ अतिक्रमण को हटाने पहुंचे तो हंगामा खड़ा हो गया। व्यापारियों के भारी विरोध के चलते मंडी सचिव को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा।
परिसर के अंदर अतिक्रमण और अधिकारियों की चुप्पी उनकी भूमिका को संदिग्ध बना रही है। मंडी निदेशक ने अपने पत्र में इस बात का जिक्र भी किया है। इधर मथुरा में मंडी सचिव सुनील शर्मा अपनी टीम के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंचे तो हंगाम खड़ा हो गया। विरोध के दौरान व्यापारी मुरारी शर्मा के सिर पर गंभीर चोट आ गई। व्यापारी ने चौकी में तहरीर भी दी है।
इस अभियान को लेकर व्यापारियों का तर्क भी जायज है उनका कहना है कि जब मंडी समिति ने हमें लाइसेंस जारी किया और और व्यापार के लिए जगह आवंटित की है और उनके पास इससे सबंधित कागज उपलब्ध है तो इसमें गलत क्या है। विरोध सचिव सुनील शर्मा के कार्य करने की शैली का भी है।
दर असल एक दिन पहले ही उन्होंने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर सात दिन का अल्टीमेटम देने की बात कही। ऐसे में रातों रात ऐसा क्या हो गया जो अगले ही दिन वो अपने गार्डो को लेकर अतिक्रमण हटाने पहुंच गए। इस दौरान व्यापारियों से अभद्रता का भी आरोप है। इस पूरे मामले को लेकर व्यापारियों में आक्रोश पनप रहा है।
कार्यवाही पर कई गंभीर सवाल…….
1-मंडी समिति के लाइसेंस के साथ ही कारोबार के लिए भूमि आवंटित की जाती है, इसके बाद तोड़फोड़ की बात ही बेमानी है।
-मंडी निदेशक के पत्र के बाद नोटिस जारी करने की बात कही गई, लेकिन सारी प्रक्रिया को छोड़ तोड़फोड़ शुरू कर दी।
-मजिस्ट्रेट की गैरमौजूदगी में बिना पुलिस बल के अतिक्रमण हटाने के अभियान पर सवाल उठना लाजिमी है।
-मंडी निदेशक के पत्र में अतिक्रमण के पीछे दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों को चिंहित करने की बात भी कही गई है।
-इस पूरी कार्यवाही में अधिकारियों की मंशा भी संदेह के घेरे में है। ये अभियान को पलीता लगाने जैसा है।