मथुरा। मार के लिए लाठियां, बचने के लिए ढाल, गालियों की बौछार इस सबके बीच आनंद की बरसात। बरसाना की लठामार होली भी एक अनूठा उत्सव है। आम तौर पर लाठियां, ढाल, गालियां किसी लड़ाई का संकेत होती है, लेकिन फागुन माह में बरसाने में इन सबके मायने ही कुछ और है। इस उत्सव को लेकर बरसाने के घर-घर में उल्लास है। नयी नवेली दुल्हनें लाठियां तैयार कर रही है, इस बार नंदगांव से आने वाले भगवान श्रीकृष्ण के सखाओं को सबक सिखाने का उत्साह है। तो दूसरी ओर नंदगांव के घर-घर में युवा इस मार के लिए ललायित है।
मान्यता तो ये भी है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम के विवाह के दौरान जनकपुर की महिलाओं ने प्रेम पगी गालियां सुनाईं। इसी प्रकार द्वापर में भी बरसाना की महिलाओं द्वारा ठाकुर जी को गालियां सुनाने का उल्लेख मिलता है।
नंदगांव-बरसाना में भी ये प्रथाएं देखने को मिलती हैं। नंदगांव राधा जी की ससुराल है। ऐसे में राधाष्टमी एवं होली के अवसर पर बरसाना के लोगों द्वारा प्रेम पगी गालियां कृष्ण को सुनाई जाती हैं।