विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। नागरिकता कानून का हिंसक विरोध कर रहे गद्दारों को मतदान के अधिकार से वंचित कर देना चाहिये। किसी ने सही कहा है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। आखिर इस कानून में ऐसी कौन सी गलत बात है जो इतना बबाल किया जा रहा है? सिर्फ यही है कि हमारे भाई बंधु जिनका पाकिस्तान या बांग्लादेश आदि में नीचता की पराकाष्ठा पार करके उत्पीड़न किया जा रहा है, उन्हें शरण देने और जो देश विरोधी विचारधारा के अन्य देशों से यहां घुस आये घुसपैठिये हैं, उन्हें जहां से आये हैं वहां भेजे जाने का कानून बनाया गया है।
नागरिकता कानून का जो रजिस्टर बनाया जा रहा है उसमें सभी के लिये एक काॅलम यह और होना चाहिये कि हम अपने ईश्वर, अल्लाह, ईसामसीह या जो भी हमारे आराध्य हों, उनकी शपथ लेकर कहते हैं कि हम भारतवासी हैं और अपने इस देश की माटी के प्रति वफादार रहेंगे। इस देश के प्रति कभी कद्दारी नहीं करेंगे और न ही किसी दुश्मन देश के प्रति सहानुभूति रखेंगे। यदि हम ऐसा करें तो हमारा मतदान अधिकार समाप्त कर दिया जाये।
यह काॅलम प्रत्येक मतदाता को भरना हो, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान अथवा ईसाई धर्म को मानने वाला हो। जो लोग इस काॅलम को नहीं भरें, उनको मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया जाये। इस कानून के बनने और लागू होने पर हाय तौबा तो बहुत होगी लेकिन परिणाम अच्छे होंगे। जब अपने आराध्य की सौगंध खाकर यह वचन देने से आस्तीन के सांप गद्दार कन्नी काटेंगे लेकिन मतदान के अधिकार से वंचित होने के भय से हामी भरने लगेंगे। किसी ने सही कहा है कि भय बिन हाय न प्रीति।
ऐसा नहीं है कि केवल मुसलमानों में ही गद्दार हैं, हिंदुओं में भी जयचंद की औलादों की कमी नहीं है। याद करो उस बात को जब पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को 17 बार हरा कर हर बार छोड़ दिया। मुहम्मद गौरी बार-बार हमला करता और पृथ्वीराज चौहान अपनी दरियादिली दिखाते हुए उसे क्षमादान देकर छोड़ देता था किंतु एक बार उसी के मंत्री जयचंद ने अपने ही राजा के साथ गद्दारी करके धोखे से उसे हरवा दिया। मुहम्मद गौरी ने एक बार भी पृथ्वीराज को नहीं छोड़ा और तुरंत उनका कत्ल करा दिया।
याद करो जब चीन ने भारत पर हमला करके बहुत बड़े भूखंड पर कब्जा कर लिया और हमारे हजारों सैनिक मार डाले। उस समय वामपंथी विचारधारा के कम्युनिष्ट गद्दारों ने कहा था कि हमला चीन ने भारत पर नहीं बल्कि भारत ने चीन पर किया है। जो चीन कहता था, वही ये आस्तीन के सांप बोलते थे। ये रिकार्ड आज भी संसद में उस समय की कार्यवाही में मौजूद है, जब कम्युनिष्ट सांसद संसद में भारत के खिलाफ बोलते थे।
ऐसा नहीं है कि हर मुसलमान देश विरोधी विचारधारा रखता हो। मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम की देश भक्ति को कौन नहीं जानता। परमवीर चक्र प्राप्त महान शहीद अब्दुल हमीद भी मुसलमान थे जिन्होंने अपने सीने से बम चिपका कर टैंक के आगे कूद कर टैंक के परखच्चे उड़ा कर वीरगति प्राप्त की।
क्या कबीरदास, रहीमदास और रसखान मुसलमान नहीं थे। इन्होंने हिंदुओं के आराध्यों के प्यार में अपने घर-परिवारों तक को छोड़ दिया। ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। इन महापुरुषों का स्मरण करके मन को सकून मिलता है। धन्य है भारत माता के ऐसे सपूत जिनको शत-शत नमन और धिक्कार है उन कपूतों को जो वोट के लालच में घर का चिराग होते हुए भी अपने घर में ही आग लगा रहे हैं। उनसे ज्यादा धिक्कार इनके माता-पिताओं को जिन्होंने इनको ऐसे दूषित संस्कार दिये।
अंत में यह लिखना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि चाहे जितनी हाय-तौबा मचालो, शेष में गद्दारों की ही दुर्गति होगी और मोदी का डंका बजेगा। यह मैं नहीं कह रहा, यह तो फ्रांस के प्रख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस सैंकड़ों वर्ष पहले ही कह गए हैं। यह सब जो कुछ हो रहा है वह कहीं 14वीं सदी आने की आहत तो नहीं?