Sunday, November 24, 2024
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जीएलए शिक्षा संकाय और यूनिवर्सिटी जुलुलैंड के प्रोफेसरों ने दिया गणित शिक्षा को प्रभावी बनाने पर जोर

मथुरा। जीएलए यूनिवर्सिटी, मथुरा के शिक्षा संकाय (बीएड) एवं यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलैंड द्वारा पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जुलुलैंड यूनिवर्सिटी साउथ अफ्रीका की डाॅ. श्यामला कृष्णनायर ने माइंड मेपिंग के आधुनिक प्रयोगों और जिगसो टीचिंग यानि छात्रों को सफलतम बनाने के विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी और गणित शिक्षा को प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
फैकल्टी प्रोग्राम फाॅर मैथमैटिक्स टीचर्स विषय पर आयोजित पांच दिवसीय इस वेबिनार में जीएलए के शिक्षा संकाय और दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख विश्वविद्यालय एवं यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलैंड के शिक्षक शामिल हुए। जीएलए शिक्षा संकाय की प्राचार्या और एफडीपी को-आॅर्डिनेटर प्रो. कविता वर्मा और यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलंैड शिक्षा विभाग के को-आॅर्डिनेटर डाॅ. अनिल कुमार कृष्णनायर ने शिक्षा के वैष्विक समन्वय और तालमेल को बहुत ही महत्वपूर्ण और वर्तमान समय में आवश्यक बताया।
डाॅ. श्यामला कृष्णनायर ने गु्रप डिस्कशन में माइन्ड मेपिंग के आधुनिक प्रयोगों की जानकारी प्रदान की। जिगसो टींचिग को विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी दी जाये, जिसे आसानी से छात्र ग्रहण कर सके। शिक्षा, समाज एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में कार्य करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती हैं।
जुलुलैंड यूनिवर्सिटी के डाॅ. अनिल कुमार कृष्णानायर ने गणित के महत्व को समझाते हुए कहा कि इसकी अपनी भाषा एवं लिपि अलग होती है। इसे पहले जानना-समझना जरूरी होता है। शायद यही कारण है कि दैनिक जीवन से संबंधित मानकर इसे समझने की दृश्टि से कठिन माना जाता है। जबकि वस्तुस्थिति में जीवन तथा ज्ञान के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता है। महान वैज्ञानिकों के विज्ञान के साथ-साथ गणित में भी अपना महान योगदान दिया है। विभाग की प्राचार्या प्रो. कविता वर्मा ने इफेक्टिव पेडागोजी के प्रत्ययों को समझाया और प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं से संबंधी प्रश्नों का समाधान किया।
जीएलए शिक्षा संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. दयाल संधु ने लर्निंग की विशेषताओं और उसकी उपयोगिता के विषय में बताया और कहा कि परम्परागत शिक्षा और आधुनिक शिक्षण विधियों के मेल से एक उन्नत शिक्षा प्रक्रिया की नींव डाली जा सकती है। साथ ही उन्होंने माइंड मेपिंग का शिक्षण अधिगम में महत्व एवं स्थान पर प्रकाश डाला।
जीएलए के डीन रिसर्च प्रो. अनिरूद्ध प्रधान ने सामाजिक विकास के सन्दर्भ में गणित के योगदान और उसके उपयोग को बडे ही मार्मिक रूप से स्पष्ट किया और उसके व्यवहारिक कार्यों की व्याख्या की। अंत में सभी प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह और सक्रिय रह कर गणित के शिक्षण, अध्ययन और तकनीकी पर गहन और उपयोगी ज्ञान का आदान प्रदान किया। कार्यक्रम से लाभान्वित प्रतिभागियों ने जो कुछ सीखा उसको क्रियान्वित रूप में प्रस्तुत किया और शैक्षिक स्तर और तकनीकी की सराहना की।
प्रो. कविता वर्मा ने प्रोग्राम में उपस्थित सभी प्रोफेसरों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित कराता है।

मथुरा। जीएलए यूनिवर्सिटी, मथुरा के शिक्षा संकाय (बीएड) एवं यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलैंड द्वारा पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जुलुलैंड यूनिवर्सिटी साउथ अफ्रीका की डाॅ. श्यामला कृष्णनायर ने माइंड मेपिंग के आधुनिक प्रयोगों और जिगसो टीचिंग यानि छात्रों को सफलतम बनाने के विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी और गणित शिक्षा को प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
फैकल्टी प्रोग्राम फाॅर मैथमैटिक्स टीचर्स विषय पर आयोजित पांच दिवसीय इस वेबिनार में जीएलए के शिक्षा संकाय और दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख विश्वविद्यालय एवं यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलैंड के शिक्षक शामिल हुए। जीएलए शिक्षा संकाय की प्राचार्या और एफडीपी को-आॅर्डिनेटर प्रो. कविता वर्मा और यूनिवर्सिटी आॅफ जुलुलंैड षिक्षा विभाग के को-आॅर्डिनेटर डाॅ. अनिल कुमार कृष्णनायर ने शिक्षा के वैश्विक समन्वय और तालमेल को बहुत ही महत्वपूर्ण और वर्तमान समय में आवश्यक बताया।
डाॅ. श्यामला कृष्णनायर ने गु्रप डिस्कशन में माइन्ड मेपिंग के आधुनिक प्रयोगों की जानकारी प्रदान की। जिगसो टींचिग को विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी दी जाये, जिसे आसानी से छात्र ग्रहण कर सके। शिक्षा, समाज एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में कार्य करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती हैं।
जुलुलैंड यूनिवर्सिटी के डाॅ. अनिल कुमार कृष्णानायर ने गणित के महत्व को समझाते हुए कहा कि इसकी अपनी भाषा एवं लिपि अलग होती है। इसे पहले जानना-समझना जरूरी होता है। शायद यही कारण है कि दैनिक जीवन से संबंधित मानकर इसे समझने की दृश्टि से कठिन माना जाता है। जबकि वस्तुस्थिति में जीवन तथा ज्ञान के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता है। महान वैज्ञानिकों के विज्ञान के साथ-साथ गणित में भी अपना महान योगदान दिया है। विभाग की प्राचार्या प्रो. कविता वर्मा ने इफेक्टिव पेडागोजी के प्रत्ययों को समझाया और प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं से संबंधी प्रश्नों का समाधान किया।
जीएलए शिक्षा संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. दयाल संधु ने लर्निंग की विशेषताओं और उसकी उपयोगिता के विषय में बताया और कहा कि परम्परागत शिक्षा और आधुनिक शिक्षण विधियों के मेल से एक उन्नत शिक्षा प्रक्रिया की नींव डाली जा सकती है। साथ ही उन्होंने माइंड मेपिंग का शिक्षण अधिगम में महत्व एवं स्थान पर प्रकाश डाला।
जीएलए के डीन रिसर्च प्रो. अनिरूद्ध प्रधान ने सामाजिक विकास के सन्दर्भ में गणित के योगदान और उसके उपयोग को बडे ही मार्मिक रूप से स्पष्ट किया और उसके व्यवहारिक कार्यों की व्याख्या की। अंत में सभी प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह और सक्रिय रह कर गणित के शिक्षण, अध्ययन और तकनीकी पर गहन और उपयोगी ज्ञान का आदान प्रदान किया। कार्यक्रम से लाभान्वित प्रतिभागियों ने जो कुछ सीखा उसको क्रियान्वित रूप में प्रस्तुत किया और शैक्षिक स्तर और तकनीकी की सराहना की।
प्रो. कविता वर्मा ने प्रोग्राम में उपस्थित सभी प्रोफेसरों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित कराता है।

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