-राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्यागिकी और जीएलए के बीच हुए करार से छात्रों के लिए खुलेंगे रोजगार के अवसर
मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा प्रदेश के उन चुनिंदा विश्वविद्यालयों में है, जो ब्रज क्षेत्र के पशुओं एवं फसलों की उत्पादनशीलता को बढ़ाने में अपने जैव प्रौद्यागिकी विभाग को प्रोत्साहित कर रहा है। इस कार्य को और गतिशीलता प्रदान करने के लिए जीएलए और राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी (एनआईपीबी), दिल्ली के बीच करार हुआ है।
एनआईपीबी और जीएलए के बीच हुए एमओयू साइन के बाद विश्वविद्यालय के छात्रों को जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग, कृषि तथा समवर्गीय उद्योगों, कंपनियों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों एवं अनुसंधान में व्यापक करियर के अवसर मिलेंगे। रोजगार शीघ्र प्राप्त करने के इच्छुक छात्र बायोटेक्नोलाॅजी में अपना कॅरियर बनाकर उच्चकोटि रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
बायोटेक्नोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि जीएलए यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलाॅजी विभाग पशुओं के रोगों के उपर अनुवांशिकी सुधारों व प्रजनन के क्षेत्र में आने वाली कठिनाईयों के निवारण हेतु देश के अन्य सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इस कार्य को गतिशीलता प्रदान करने हेतु विश्वविद्यालय के सीईओ श्री नीरज अग्रवाल द्वारा जीएलए विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान पूसा नई दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन संपन्न कराया। इसमें राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डाॅ. नागेन्द्र कुमार सिंह द्वारा विशेष अभिरूची प्रदर्शित करते हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
विभागाध्यक्ष ने एनआईपीबी संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, जो कि नई दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में स्थित है। यह संस्थान पादप विज्ञान के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दे रहा है। इसी संस्थान द्वारा विश्व में सर्वप्रथम बासमती चावल की अनुवांशिकी को डीकोड़ किया गया। इस प्रोजेक्ट में देश के ही नहीं अपितु विदेशों में स्थित वैज्ञानिकों तथा अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मनीला आदि के वैज्ञानिकों द्वारा संपन्न किया गया। इस संस्थान में अधिक उत्पादन करने वाली फसलों, लवण सहिषुणता तथा विषम परिस्थितियों में उत्पादन देने वाली नस्लों के विकास एवं प्रसार हेतु महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। इन सभी कार्यों में पौधों के जीन ट्रांस्फर, जीन्स एडीटिंग तथा जीन्स श्रृंखला अध्ययन इत्यादि आधुनिक विधियों का उपयोग किया जा रहा है।
चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर श्री नीरज अग्रवाल ने इस करार पर हर्ष व्यक्त करते हुए बताया कि इस समझौते ज्ञापन के बाद विश्वविद्यालय एवं मथुरा क्षेत्र के छात्रों को देश के प्रतिष्ठित संस्थान में शोध एवं ट्रेनिंग आदि की अभूतपूर्व संभावनायें उत्पन्न होंगी तथा संस्थान के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों से ज्ञान एवं विचारों के आदान प्रदान के नए अवसर भी खुलेंगे। इस समझौता ज्ञापन द्वारा क्षेत्र के किसानों की फसलों में लगने वाले रोग आदि समस्याओं का निवारण भी संभव होगा। यही नहीं विश्वविद्यालय के छात्रों को अपने कॅरियर को संवारने के लिए राष्ट्रीय पादप प्रौद्योगिकी संस्थान मील का पत्थर साबित होगा। विदित हो कि जीएलए ने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से समझौता ज्ञापन किया है तथा भविष्य में और भी संस्थानों से विश्वविद्यालय समझौता ज्ञापनों पर कार्य कर रहा है।
जीएलए और एनआईपीबी के मध्य हुआ एमओयू साइन, खुलेंगे रोजगार के अवसर
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