वृंदावन। दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मन्दिर में 7 दिवसीय पवित्रोत्सव का गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य समापन हुआ। इसमें दक्षिण भारतीय शैली के आचार्यों ने सात दिन प्रात: और सायं के समय भगवान गोदारंगमन्नार का विशेष पूजन करने के साथ ही यज्ञ किया।
रंग मंदिर के मंदिर के सेवायत राजू स्वामी ने बताया कि प्राचीन परंपरा के अनुसार वर्षभर में भगवान की सेवा में हुईं त्रुटियों और अशुद्धियों के शुद्धिकरण के लिए यह सात दिवसीय पवित्रोत्सव प्रति वर्ष अगस्त-सितम्बर के महीने में हर आगम शास्त्र को मानने वाले दाक्षिणात्य मंदिरों में शास्त्रानुसार मनाया जाता है। इसी क्रम में श्री रंग मंदिर में 3 सितंबर से शुरू हुए इस उत्सव में प्रतिदिन सुबह और शाम यज्ञ किया गया। जिसके अंतर्गत विधि अनुसार चार कुंडों में चलने वाले हवन में विभिन्न जड़ी बूटियों के साथ साथ जौ, गेंहू, तिल, धान, पुष्प, चन्दन की लकड़ी, अगर की लकड़ी, पलास, पीपल, बेल, शमी ( छौंकर), अंगा, खील, घी आदि का प्रयोग किया गया।
उन्होंने बताया कि इस यज्ञ की विशेषता यह है कि स्वयं भगवान पीत वस्त्र धारण करके व पवित्र माला पहनकर यज्ञ के मुख्य कर्ता व यजमान के रूप में विराजमान हुए।
मान्यता है कि पीत वस्त्र लक्ष्मी स्वरूपा हल्दी का प्रतीक है। हल्दी परम शुद्ध और स्वयं श्री लक्ष्मी हैं इसलिए श्री भगवान जो परम शुद्ध हैं, उनकी भी नगण्य से नगण्य अशुद्धता को स्पर्श मात्र से दूर कर देती है।