प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के ब्लॉक उरुआ के अपर प्राइमरी स्कूल में नियुक्त अनुदेशकों को 100 छात्र से कम संख्या होने के कारण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सातों याचिकाकर्ता अनुदेशकों को 31 जनवरी 2013 के शासनादेश के तहत कार्य करने देने और मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया है। वहीं अनुदेशकों को मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन से कम 7 हजार रूपये देकर राज्य सरकार द्वारा शोषण के मुद्दे पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया ने प्रभु शंकर एवं 6 अन्य की याचिका पर दिया है। इस मामले में अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने याचियों का पक्ष रखा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत केन्द्र सरकार ने अनिवार्य शिक्षा कानून बनाया। शिक्षकों की जरूरत पूरी करने के लिए मानदेय पर 11 माह के लिए नवीनीकृत करने की शर्त के साथ अनुदेशको की नियुक्ति की व्यवस्था की गयी। कला, स्वास्थ्य, शारीरिक कार्य शिक्षा देने के लिए 41307 अनुदेशकों के पद सृजित किये गये। इन्हें भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया। याचियों की 2013 में नियुक्ति हुई और समय-समय पर कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा।