– एसआईटी ने र्दज की है एफआईआर
– विभिन्न मदों में हुआ 17.65 करोड का घोटाला
– दिल्ली के एनजीओ इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन की थी शिकायत
गोवर्धन। गोवर्धन के सुप्रसिद्ध गिर्राज महाराज के मुकुट मुखारबिंद एवं हरगोकुल मंदिर में करोडों रुपए का घोटाला करने वालों के विरुद्ध शिकंज कसता जा रहा है। विशेष जांच दल ;एसआईटीद्ध ने मंदिर के रिसीवर सहित 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस घोटाले की जांच में कई, सफेद पोश भी बेनकाब हो सकते हैं। एसआईटी की इस कार्रवाई से मंदिर से जुडे लोगों में खलबली मची हुई है।
कुछ यूं हैं आरोप
मंदिर रिसीवर पर वृद्धा पेंशनए कन्या विवाह व छात्रवृत्ति के नाम पर मिले दान के पैसे में भी गवन का आरोप है। मंदिर रिसीवर ने खाश महल की संपत्ति की बाजार में कीमत 90 लाख रुपये थी। रमाकांत ने इसे साल भर बाद दो करोड़ 70 लाख में खरीदा। जबकि कीमत आंकने वाले राजेश द्विवेदी की मदद से संपत्ति की मार्केट वैल्यू 3 करोड़ 6 लाख रुपये दिखाई गई। इस फर्जीवाड़े में सहायक प्रबंधक मनु ऋषि और भंडारी संतोष कुमार का भी सहयोग रहा। आरोप है कि रिसीवर ने फूल बंगला बनाने वालों की मिलीभगत से महंगे दाम पर फूल की खरीद दिखाई और उनके खाते में भुगतान कर दिया। बाद में उनके खातों से पैसे निकलवा लिए। जबकि शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2014.15 में मंदिर की ओर से 48.35 लाख रुपयेए 2015-16 में 7.18 1.40 करोड़ रुपयेए 2016-17 में 3.02 रुपये और 2017-18 में 2.24 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम का भुगतान किया गया। जबकि एक फूल बंगले की अधिकतम कीमत 3.500 रुपये थी।
करीब 100 लोग इस घोटाले में हो सकते हैं शामिल
देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र गोवर्धन के दोनों मंदिर में 17 करोड 65 लाख का घोटाला की शिकायत करने वाला एनजीओ इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन कि अनुसार करीब 8 दर्जन लोग इस अनियमितता के खेल में शामिल हैं। मुकुट मुखारबिंद एवं हरगोकुल मंदिर की व्यवस्था
रिसीवर रमाकांत गोस्वामी जुलाई 2010 से संभाल रहे हैं।
फाउंडेशन ने 13 मई 18 को रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर 17 करोड 65 लाख रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया था। इसके साक्ष्य भी पेश किए गए।
ऐसे हुई करोडों के घोटाले की जांच शुरुआत
श्रद्धालु राधारमन एवं कई भक्तों की शिकायत पर तत्कालीन एसडीएम नागेंद्र सिंह ने आरोपों में सत्यता पाई और फाइल को कार्रवाई के लिए आगे बढ़ा दिया था। एसआईटी की जांच में अभी सिर्फ मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामीए प्रबंधक मनुऋषि और भंडारी संतोष को और खाश महल के जमीन घोटाले में रामकृष्णए राधाकिशनए विवेक और सिद्धश्री शर्मा को तथा फूल बंगला में पिंटू सैनीए कमलेश सैनीए लट्टू सैनी और बिहारी सैनी को तथा रिसीवर और ठेकेदार की मिली भगत में कोकन मिश्रा के खिलाफ केस दर्ज किया है। जबकि अस्पताल बनवाने के नाम पर खरीदी की गई जमीनए रिसीवर और ठेकेदार की मिली भगत से एक दिन में काटे गए चैकों की जांच से संबंधित लोगों को केस में शामिल नहीं किया गया है। अगर जांच की परतें खुली तो अभी तमाम लोगों के नाम प्रकाश में आ सकते हैं।
शिकायतकर्ता रजत नारायण का कहना है कि अभी इस करोडों की घोटाले की जांच में तमाम बिंदु शामिल नहीं किए गए हैं। हालांकि एसआईटी की कार्रवाई ने तमाम लोगों की नींद छीन रखी है।
ये है घोटाले का आधार
दिल्ली के इंपीरियल पब्लिक फाउंडेशन के रजत नारायण के अनुसार उन्होंने मंदिर से संबंधित खरीद.फरोख्त और ऑडिट रिपोर्ट निकलवाईं थी।
रिपोर्ट के अनुसार रिसीवर ने 20 जनवरी को अस्पताल बनवाने के नाम पर 2ण्9 करोड़ में 1ण्69 हेक्टेअर जमीन खरीदी थी। इसका 40 लाख में
चार माह पहले अपने चहेतों के नाम इकरारनामा कर दिया। चार माह के बाद मंदिर के खाते से इतनी मोटी रकम देकर जमीन को मंदिर के नाम करा दिया। आरोप है कि रिसीवर की मिलीभगत से रामकृष्ण नामक व्यक्ति की दिल्ली स्थित कंपनी ऑर्चिड इंफ्राओम ने मंदिर के समीप खास महल के नाम से प्रसिद्ध विशाल इमारत को पांच अगस्त 2011 में 90 लाख में खरीद लिया। नौ माह के बाद इसी भवन को 2ण्70 करोड़ में
मंदिर के लिए खरीद लिया गया। इसके अलावा दिल्ली की फर्म और मालिक की जांच की गईए तो फर्जी पाए गए। मंदिर की एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक की ऑडिट रिपोर्ट की जांच में भी सामान की खरीद.फरोख्तए मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों की संख्याए वेतन और अन्य सामान में भी बड़ा घोटाला सामने आया। मंदिर की बिजली और जेनरेटर पर रोजाना 10.10 हजार रुपया खर्च दिखाया गया। मंदिर में बनाए जाने वाले फूल बंगले का बजट भी बाजार भाव से कई गुना ज्यादा दर्शाया था।
शिकायतकर्ता राधारमन ने बताया कि एसआईटी ने जो केस दर्ज किया हैए उसमें सिर्फ खाश महल और फूल बंगला से संबंधित आरोप दिखाई पड़ रहे हैं। जबकि अस्पताल के नाम पर खरीदी गई जमीन सहित तमाम अन्य आरोपों की जांच अभी नहीं हुई है। मंदिर में हुए सभी घोटालों की जांच ईमानदारी से होनी चाहिए।