– किसान आन्दोलन के 11 वर्ष बाद भी नहीं बन सका अस्पताल
– देखरेख के अभाव में अस्पताल की जमीन पर हो रहा अतिक्रमण
बाजना। नगर पंचायत बाजना में एक सरकारी आयुर्वेदिक ऐसा अस्पताल है, जिसे खुद देखरेख की जरुरत है। जर्जर भवन में चल रहे अस्पताल में न डॉक्टर और ना ही मरीजों के लिए दवा। उपेक्षा का शिकार यह अस्पताल कभी भी गिर सकता है।
नगर पंचायत बाजना से आसपास क्षेत्र के करीब डेढ़ सौ गांव जुड़े हुए हैं। इन सभी गावों के बीच एकमात्र आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज की व्यवस्था लंबे समय से न होने के कारण अब गांव के लोगों ने भी इस अस्पताल की ओर आना छोड़ दिया है। जबकि इस क्षेत्र में अस्पताल की सर्वाधिक आवश्यकता है। हाईवे से लगे होने के कारण बाजना क्षेत्र में आए दिन दुर्घटनाएं होती है। घायलों को लेकर करीब 15 से 20 किमी दूर अन्य क्षेत्रों के अस्पतालों में ले जाने के लिए स्थानीय लेाग मजबूर हैं। आयुर्वेद अस्पताल में डॉक्टर के नाम पर सिर्फ एक फार्मासिस्ट है।
गांव के लोगों का कहना है कि साल 2009 में बाजना किसान आंदोलन के दौरान क्षेत्र में अस्पताल निर्माण की प्रमुख मांग की गई। इसके लिए नगर पंचायत द्वारा जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया लेकिन आन्दोलन के 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी अस्पताल का निर्माण नहीं हुआ।
अस्पता के फार्मासिस्ट राकेश कुमार सिंह ने बताया कि बाजना आयुर्वेदिक अस्पताल के पास बहुत सारी जमीन है परंतु अधिकतर जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। इस संबंध में हमने अपने उच्च अधिकारियों से कई बार शिकायत की है। लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकी है।