नई दिल्ली। संसद में भारत और चीन के बीच तनाव पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि एलएसी पर भारत और चीन के बीच विवाद अभी जारी है। चीन ने भारत की जमीन पर अभी भी अवैध कब्जा किया हुआ है। अप्रैल माह से चीन ने सीमा पर सैनिकों और आर्म्स की वृद्धि की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पेंगोंग से लेकर कई जगहों पर चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। लेकिन हमारे सैनिकों ने चीन की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि 29-30 अगस्त को चीनी सैनिकों मे भारत में घुसपैठ की कोशिश की जिन्हें हमारे सैनिकों ने रोक दिया।
उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने भी जवाबी तैनातियां की हैं ताकि देश के सुरक्षा हितों का पूरी तरह ध्यान रखा जाए। हमारे सशस्त्र बल इस चुनौती का डटकर सामना करेंगे। हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच सशस्त्र बलों की तैनाती और उनके प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि चीन, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंडरी एग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है।
उन्होंने का कि मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि चीन, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि भारत तथा चीन, दोनों ने, औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए धैर्य की आवश्यकता है तथा इस मुद्दे का समाधान, शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि, द्विपक्षीय संबंधों को विकसित किया जा सकता है, साथ ही बॉर्डर मुद्दे के समाधान के बारे में चर्चा भी की जा सकती है। लेकिन एलएसी पर शांति किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति का द्विपक्षीय संबंधों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके गोलाबादूद में वृद्धि देखी गई। मई महीने की शुरुआत में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी सेना के पेट्रोलिंग पैटर्न में व्यवधान शुरू किया जिसके कारण फेसऑफ की स्तिथि उत्पन्न हुई। हमने चीन को राजनयिक और सैन्य माध्यम से यह अवगत करा दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सदन की एक गौरवशाली परंपरा रही है, कि जब भी देश के समक्ष कोई बड़ी चुनौती आई है तो इस सदन ने भारतीय सेनाओं की दृढ़ता और संकल्प के प्रति अपनी पूरी एकता और भरोसा दिखाया है।
उन्होंने कहा कि वह यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारे आर्म्ड फोर्सेस के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके लिए बर्फीली ऊंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का स्पेशल टेंट तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हमारे जवानों की यह प्रतिज्ञा सराहनीय है। सदन उन्होंने आग्रह किया कि कि हमें एक रिजोल्यूशन पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए देश की चोटियों की ऊचाईयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं।