वाशिंगटन। वैश्विक महामारी कोविड-19 से भी बड़े दो संकट विश्व में आने वाले है। यह दो संकट होंगे परमाणु युद्ध और ग्लोबल वार्मिंग, जिनसे मानस सभ्यता के विनाश का कारण बन सकती है। इस तरह का दावा अमेरिकी भाषाविद और राजनीतिक विश्लेषक नॉम चोम्स्की ने किया है।
एक विदेशी टीवी चैनल से बातचीत में चोम्स्की ने कहा कि कोरोनो वायरस काफी गंभीर है लेकिन परमाणु युद्ध और ग्लोबल वार्मिंग वे दो संकट हैं जो मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह के राजनीतिक और आर्थिक हालत हैं ये दोनों संकट अब दूर नज़र नहीं आ रहे हैं। विदेशी टीवी चैनल के लिए स्रेको होर्वाट से बातचीत में 91 वर्षीय नॉम चोम्स्की ने कहा कि यह सबसे चौंकाने वाली बात है कि कोरोना वायरस ट्रंप की सरकार के दौरान आया है और इसलिए अब ये और भी बड़ा खतरा नज़र आ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस भयानक है और इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं, लेकिन हम इससे उबर जाएंगे। लेकिन अन्य दो खतरों से उबर पाना नामुमकिन होगा। इनसे सब कुछ तहस-नहस हो जाएगा। अमेरिका के पास बढ़ती जा रही असीम ताकत आने वाले विनाश की वजह बनेगी।
अमेरिका और अन्य अमीर देशों ने नहीं ली जिम्मेदारी
डाउन टू अर्थ पत्रिका में छपे इस इंटरव्यू में चोम्स्की कहते हैं कि सबसे बड़ी विडंबना देखिए कि क्यूबा, यूरोप की मदद कर रहा है। लेकिन उधर जर्मनी ग्रीस की मदद करने के लिए तैयार नहीं है। कोरोना वायरस संकट लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर सकता है कि हम किस तरह की दुनिया चाहते हैं। यह लंबे समय से पता था कि सार्स महामारी कुछ बदलाव के साथ कोरोना वायरस के रूप में सामने आ सकती है। अमीर देश संभावित कोरोना वायरस के लिए टीका बनाने का काम कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बड़ी दवा कंपनियों ने इस पर काम करने नहीं दिया और अब जब ये आ गया है तो मनमाने ढंग से इसकी दवा और वैक्सीन का कारोबार किया जाएगा। जब कोरोना का खतरा सिर पर था तो बड़ी दवा कंपनियों को नई बॉडी क्रीम बनाना अधिक लाभदायक लग रहा था।
चोम्स्की ने आगे कहा कि अक्टूबर 2019 में ही अमेरिका ने कोरोना जैसी संभावित महामारी की आशंका जताई थी लेकिन किसी ने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा। पोलियो का खतरा सरकारी संस्थान द्वारा बनाए गए टीके से खत्म हो गया लेकिन इसका कोई पेटेंट नहीं था और मुनाफे के चक्कर में बड़ी दवा कंपनियों ने ये होने भी नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को ही चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को निमोनिया के बारे में सूचित किया और एक हफ्ते बाद चीनी वैज्ञानिकों ने इसे कोरोना वायरस के रूप में पहचाना। फिर इसकी जानकारी दुनिया को दी गई। इस इलाके के देशों जैसे, चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान ने कुछ-कुछ काम करना शुरू कर दिया और ऐसा लगता है कि संकट को बहुत अधिक बढ़ने से रोक लिया।