दीपदान वस्त्र दान भागवत ग्रंथ दान का विशेष महत्व :आलोक
मथुरा, 18 सितंबर से अधिक मास की विधिवत शुरुआत हो जाएगी इस साल अश्विन मास में अधिक मास पड़ रहा है जो 16 अक्टूबर तक जारी रहेगा
पुरुषोत्तम मास जिसे अधिक मास के रूप में भी जाना जाता है इस संबंध में जानकारी देते हुए बाल भागवत वक्ता एवं युवा ज्योतिषाचार्य पंडित आलोक चतुर्वेदी बैंकर ने बताया है कि मलमास परिस्थिति बस अपने ही कर्मों के कारण बहुत नाराज और उदास रहने लगा इसी कारण सभी ओर उसकी निंदा होने लगी मलमास को सभी ने असहाय निंदक तथा संक्रांति से वर्जित कहकर लज्जित करना शुरू कर दिया लगातार दुख भय और चिंता से पीड़ित होकर वह एक दिन भगवान विष्णु के पास बैकुंठ लोक में पहुंचा और मलमास ने भगवान विष्णु से कहा मेरा नाम मलमास है मैं सभी से तिरस्कृत होकर आया हूं सभी ने मुझे शुभ कर्म वर्जित अनाथ और घृणा दृष्टि से देखा है संसार में सभी शुभ मुहूर्त पक्ष मास अहोरात्र आदि अपनी-अपनी तिथियों के अधिकारों से सदैव निर्भय लेकर आनंद मनाया करते हैं मैं ऐसा अभागा हूं जिसका न कोई नाम है न स्वामी ना धर्म तथा नहीं कोई आश्रम इसलिए अब मै मरना चाहता हूं ऐसा कहकर वह शांत हो गया तब भगवान विष्णु मलमास को लेकर गोलोकधाम पहुंचे वहां भगवान श्री कृष्ण वैजयंती माला धारण कर विराजमान थे गोपियों से घिरे हुए थे तब भगवान श्री विष्णु ने मलमास को श्रीकृष्ण के चरणो में नतमस्तक कराया और कहा कि यह मलमास वेद शास्त्र के अनुसार पुण्य कर्म के लिए अयोग्य माना गया है इसलिए सभी इसकी निंदा करते हैं तब श्रीकृष्ण ने कहाकि यह हे हरी आप इसका हाथ पकड़कर यहां लाए हो जिसे आपने स्वीकार किया उसे मैंने भी स्वीकार कर लिया है इसे मैं अपने ही सामान सक्षम कर दुंगा तथा गुण कीर्ति ऐश्वर्या पराक्रम भक्तों को वरदान आदि मेरे समान सभी इसमें होंगे मेरे अंदर जितने भी सदगुण हैं उन सभी को मैं मलमास मै तुम्हे सौप रहा हूं मैं इसे अपना नाम पुरुषोत्तम देता हूं और इसी नाम से यह विख्यात होगा यह मेरे समान ही सभी मासों का स्वामी होगा अब से कोई भी मलमास की निंदा नहीं करेगा मैं इस मास का स्वामी बन गया हूं जिस परमधाम गोलोक को पाने के लिए ऋषि तपस्या करते हैं वहीं दुर्लभ पद पुरुषोत्तम मास में स्नान पूजन अनुष्ठान व दान करने वाले को सरलता से प्राप्त हो जाएंगे इस प्रकार मलमास पुरुषोत्तम मास के नाम से प्रसिद्ध हो गया
बाल भागवत वक्ता एवं ज्योतिषाचार्य आलोक चतुर्वेदी बैंकर ने आगे जानकारी देते हुए बताया है कि भगवान् श्रीकृष्ण ने धर्म ग्रंथों में कहा है कि इस मास में किया गया पुण्य कोटि गुना होता हैं जो भी मनुष्य मलमास का तिरस्कार करेगा और धर्म का आचरण नहीं करेगा वह नरक के गामी होंगे इस मास में स्नान दान पूजन आदि का विशेष महत्व होगा
पुरुषोत्तम मास का अर्थ जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह अधिक मास कहलाता है इनमें खासतौर पर सर्व मांगलिक कार्य वर्जित माने गये है लेकिन यह माह धर्म-कर्म के कार्य करने में बहुत फल प्रदान करता है इस मास में किए गए धार्मिक आयोजन पुण्य फल प्रदान करते हैं तथा दूसरे महीनों की अपेक्षा करोड़ों गुना अधिक फल मिलता है पुरुषोत्तम मास में दीपदान वस्त्र एवं श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ दान श्रवण आदि का विशेष महत्व है इस मास में दीपदान करने से धन वैभव की वृद्धि होने के साथ पुण्य लाभ भी प्राप्त होता है पुरुषोत्तम मास में संकटों से मुक्ति के लिए लोगों को श्री विष्णु सहस्त्रनाम पुरुष सूक्त श्री सूक्त हरिवंश पुराण और एकादशी महातम कथा श्रीमद्भगवतगीता श्री राम कथा के अलावा श्रीमद् भागवत कथा आदि धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिये