Tuesday, November 26, 2024
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पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के घर के बाहर किसान ने खाया जहर

– कृषि बिल के विरोध में हरियाणा, पंजाब के किसान सड़कों पर
– मोदी सरकार बता रही कृषि बिल को किसानों के हित में

मुक्तसर। मोदी सरकार के कृषि बिल के विरोध में किसानों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। हरियाणा और पंजाब के किसान सड़कों पर हैं और कृषि से जुड़े तीन बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच पंजाब के मुक्तसर स्थित बादल गांव में प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने जहर खा लिया। खास बात है कि यह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव है और उनके घर के बाहर ही किसान धरना दे रहा था।
बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के घर के बाहर धरने पर बैठे प्रीतम सिंह नामक किसान ने आज सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर जहर पी लिया। किसान मानसा के अकाली गांव का रहने वाला है। प्रीतम सिंह को सबसे पहले बादल गांव के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद हालत गंभीर होने पर उसे बठिंडा के मैक्स हॉस्पिटल में ले जाया गया है।

कृषि बिल का क्यों हो रहा है विरोध

किसानों में केंद्र के उन तीन कृषि विधेयकों को लेकर विरोध है। इसमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) और आवश्यक वस्तु संशोधन बिल शामिल है। इन अध्यादेशों को लेकर यह कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र जरिया है, अध्यादेश से यह खत्म हो जाएगा। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये अध्यादेश साफ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था का खात्मा करने वाले हैं।

विपक्ष के साथ अकाली दल भी विरोध में

पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले तीन माह से इन अध्यादेशों का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। हालांकि मोदी सरकार इन्हें किसान हितैषी बता रही है और अपने स्टैंड पर कायम है। इसके बावजूद इन विधेयकों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में किसानों सड़क पर हैं। विपक्ष ने संसद शुरू होने से पहले ही साफ कर दिया था कि सदन में कृषि संबंधी अध्यादेशों का विरोध करेगी। अकाली दल भी बगावत का रुख अपना लिया है।

गुमराह करने की हो रही है कोशिश: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी।

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