Sunday, November 24, 2024
Homeडिवाइन (आध्यात्म की ओर)वृंदावन के मंदिरों के पट न खुलने से आर्थिक संकट से जूझ...

वृंदावन के मंदिरों के पट न खुलने से आर्थिक संकट से जूझ रहे तीर्थपुरोहित

 

– तीर्थपुरोहितों को आर्थिक सहायता के लिए शासन, प्रशासन ने उम्मीद
– छह माह से अधिक समय से बंद हैं वृंदावन के मंदिर

वृंदावन। वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के कारण तीर्थनगरी वृंदावन के श्री बांकेबिहारी मंदिर सहित प्रमुख मंदिरों के बंद होने से तीर्थपुरोहित आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। नगर के तीर्थ पुरोहितों और ब्राह्मण महासभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है तीर्थपुरोहितों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
कोरोना संक्रमण के चलते करीब 6 माह पहले देश में हुए लॉकडाउन के साथ ही देशभर में आम भक्तों के लिए बंद हुए वृंदावन के मंदिरों के द्वार अभी तक नहीं खुल पाए हैं। इस कारण तीर्थ पुरोहितों को आर्थिंक संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शासन ने 1 जून को लागू अनलॉक-1 में 8 जून से मंदिर खोलने की सशर्त अनुमति दी थी। परन्तु वृंदावन में प्रमुख मंदिरों के प्रबंधक एवं सेवायतों द्वारा कोरोना के बढते संक्रमण को देखते हुए बिना जिला प्रशासन के सहयोग के मंदिर खोलने में असमर्थता जताई जा रही है। इसी के चलते यहां विश्वविख्यात श्री बांकेबिहारी मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों के पट आज भी आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं। मंदिरों के बंद होने का खासा असर तीर्थ पुरोहितों पर पड़ रहा है। क्योंकि ये लोग प्रतिदिन बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिरों में दर्शन कराकर ही अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। अब मंदिरों के बंद रहने से श्रद्धालुओं का आगमन नहीं हो रहा है, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी तक संकट उत्पन्न हो गया है। इसके बावजूद सरकार द्वारा भी ऐसे में उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही है।
ब्राह्मण महासभा के नगर अध्यक्ष महेश भारद्वाज एवं तीर्थ पुरोहित नन्ही गौड़ का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण कारण नगर के प्रमुख मंदिर खुल नहीं रहे हैं। जब तक इन मंदिरों से ही नगर के सैकड़ों तीर्थ पुरोहित परिवारों की रोजीरोटी चल रही थी। पिछले 6 माह से अधिक समय से मंदिरों के बंद होने से तीर्थपुरोहितों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में शासन और प्रशासन को आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments