नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों से जुड़े तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए हैं। इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड 2020, इंडस्ट्रीयल रिलेशंस कोड 2020 और सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 शामिल हैं। सोशल सिक्योरिटी कोड में कई नए प्रावधान जोड़े गए है। इसमें एक प्रावधान ग्रेच्युटी को लेकर है। इसमें कहा गया है कि ग्रेच्युटी पांच साल की जगह एक साल में मिल सकती है।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने शनिवार को श्रम कानूनों से जुड़े तीन बिल संसद में पेश किए। इनमें सोशल सिक्योरिटी कोड के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी। उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा। इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है। अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा। वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।
सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 बिल संसद में पेश होने के बाद दोनों सदन से पारित कराया जाएगा। इसके बाद ये कानून बनेगा। तभी इसके सभी नियमों के बारे में जानकारी मिल पाएगी।
क्या होती है ग्रेच्युटी
एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।
पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972-पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा एंप्लॉई काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।