लखनऊ। यूपी सरकार की तरफ से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक सरकारी नौकरी देने में पिछली सरकारों की तुलना में योगी सरकार काफी आगे है। दावा है कि कोरोना काल के बावजूद 3 सालों में पिछली सरकारों से ज़्यादा तीन लाख सरकारी भर्तियां की गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक 15 सालों में योगी सरकार ने सबसे ज़्यादा भर्तियां की हैं। पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्तियों में लगभग 26,000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जबकि वर्तमान सरकार ने 3 वर्षों में 26,103 अभ्यर्थियों का चयन किया है।
इन्हें मिला रोजगार
प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 माह में योगी सरकार ने 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है। इसमें 50 लाख से अधिक कामगारों को क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों में रोजगार दिया गया। 11 लाख से अधिक कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। अन्य राज्यों से वापस लौटे 2.57 लाख और आत्मनिर्भर ईसीजीएलएस योजना के तहत 4,31,571 कामगारों को रोजगार मिला। मनरेगा के अंतर्गत 24.45 करोड़ मानव दिवस सृजित कर 11 सितम्बर 2020 तक 94 लाख से अधिक मजूदरों को रोजगार देकर 4681.97 करोड़ रुपये से अधिक मानदेय का का भुगतान किया गया।
सपा ने आंकड़ों पर उठाए सवाल
सपा प्रवक्ता व एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा कि सरकार ने कल रोजगार पर साढ़े तीन सालों का ब्यौरा जारी किया है। रोजगार के झूठे आंकड़े जारी कर आखिर सरकार किसकी आंखों में धूल झोंकना चाहती है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के तहत भरे गए 90 फ़ीसदी पद संविदा या आउटसोर्सिंग के है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 100 फ़ीसदी भर्तियां संविदा की होती है। सरकार आउटसोर्सिंग और ठेके पर दी जाने वाली नौकरी को उपलब्धि क्यों मानती है।