मथुरा। जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने पराली जलाने की रोकथाम के लिए एक नहीं, दो नहीं बल्कि 60 नोडल अधिकारी लगाए हैं। डीएम ने नोडल अधिकारियों से कहा है कि वह ग्राम स्तर पर लगाए गए कर्मचारियों के साथ बैठक करें और कोई शिकायत प्राप्त होने पर तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करें।
कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में डीएम ने निर्देश दिए कि प्रत्येक नोडल अधिकारी प्रतिदिन की रिपोर्ट अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि वहीं कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन धान काटेगी, जिसमें एसएमएस मशीन लगी हों।
धान की फसल उगाने वाले किसानों पर रहेगी पैनी नजर
उन्होंने सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर माइक्रो प्लान योजना तैयार करें। कितने किसानों द्वारा धान की फसल उगाई गई है, उनकी सूची तैयार करें तथा कटाई के बाद पराली की व्यवस्था को देखें कि वह खेत में मिला दी गई है या गोशालाओं में भेजी गई है।
ग्राम पंचायतों में पराली से चारे बनाने वाली मशीनें लाई जाएंगी
डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने कहा कि छाता, कोसी, नंदगांव जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने उप निदेशक कृषि को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों को मशीनें खरीदवाईं जाएं, जो पराली को चारे के रूप में बनाकर गोवंश के प्रयोग में लाया जा सके। जिस पर उप निदेशक कृषि ने बताया कि 05 लाख रुपये की मशीन ग्राम पंचायत खरीद सकती है, जिसके 04 लाख रुपये कृषि विभाग तथा 01 लाख रुपये ग्राम पंचायत लगाएगी।
ये तीन क्षेत्र संवेदनशील की श्रेणी में
डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने कहा कि छाता, कोसी, नन्दगांव जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होंने उप निदेशक कृषि को निर्देश दिये कि ग्राम पंचायतों को मशीने खरीदवायी जायें, जो पराली को चारे के रूप में बनाकर गौवंश के प्रयोग में लाया जा सके। जिस पर उप निदेशक कृषि ने बताया कि 05 लाख रू0 की मशीन ग्राम पंचायत खरीद सकती है, जिसके 04 लाख रू0 कृषि विभाग तथा 01 लाख रू0 ग्राम पंचायत लगायेगी।
आनन्द बाबा ने सुझाया प्रदूषण से रोकथाम का रास्ता
बैठक में मौजूद आनन्द बाबा ने बताया कि उनके द्वारा 200 ट्रैक्टरों के माध्यम से 800 व्यक्तियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किसानों से पराली ली जाती है तथा उसको चारा बनाकर गौशालाओं को निःशुल्क दे दी जाती है। उन्होंने पंचायतराज अधिकारी को निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में बनायी गयी अस्थायी गौशालाओं में पराली भेजी जाये, जिसे गाय के भोजन हेतु प्रयोग किया जा सके।