Friday, October 18, 2024
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जीएलए बायोटेक के प्रो. शूरवीर ‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ के लिए मनोनीत

-पेराट्यूबरकुलोसिस के क्षेत्र में व्यापक शोध एवं अनुसंधान के लिए जीएलए विश्वविद्यालय के प्रो. शूरवीर ‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ के लिए मनोनीत हुए
मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा बायोटेक्नोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह को अंतर्राष्ट्रीय पेराट्यूबरकुलोसिस संगठन, यूएसए द्वारा ‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ 15वीं कॉन्फ्रेंस ऑन पैराटीबी के लिए मनोनीत किया गया है। यह अवार्ड आयरलैंड देश के डबलिन शहर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्रदान किया जायेगा।
बायोटेक के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह पेराट्यूबरकुलोसिस के क्षेत्रों में पिछले 36 वर्षों से शोध के लिए न केवल हिन्दुस्तान में अपितु विश्व में जाने जाते हैं। इसी के तहत पशुओं में पाये जाने वाली पेराट्यूबरकुलोसिस बीमारी की खोज के लिए भारत सरकार के डीबीटी संस्थान द्वारा अनुसंधान हेतु दो बड़ी एवं महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है। इस प्रोजेक्ट में केन्द्र सरकार की एक अन्य संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एनीमल बायोटेक्नोलाॅजी हैदराबाद तथा जामिया हमदर्द, नई दिल्ली के साथ मिलकर कार्य करेंगे।
विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि पैराट्युबरकुलोसिस एवं जोहेन्स जैसी लाईलाज बीमारी के कारण ही भारत वर्ष व अन्य देशों पशुओं का उत्पादन बहुत कम हुआ है। पहले जो पशु 10 से 12 बार गर्भाशय होता था, लेकिन ऐसी बीमारी के कारण अब बमुश्किल 3 से 4 बार ही गर्भाशय होता है। यह बीमारी आंतों तथा प्रतिरोधक क्षमता को बर्बाद कर देती है, जिससे पशु उत्पादन क्षमता खत्म हो जाती है। विभाग द्वारा इस क्षेत्र में किये गए कार्यों को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा एवं मान्यता प्रदान की गई है। इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत प्रथम चरण में ऐसे पशुओं का चयन किया जायेगा जो अनुवांशिक रूप से इस रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं तथा द्वितीय चरण में उन कारकों (जीन्स) को चयनित एवं खोजा जायेगा जो इस प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार हैं। दूसरी परियोजना में इस बीमारी के इलाज हेतु औषधि को बनाना व उत्पादन करना है।
ज्ञात रहे कि पैराटीवी के जीवाणु दुग्ध एवं दूध से बने पदार्थों जैसे क्रीम, चीज, मिल्क पाउडर, बटर मिल्क, आइस्क्रीम आदि के सेवन से मनुष्यों में पहुंचता है और तमाम तरह की बीमारियों का कारक बनता है, जिसमें दस्त, आंतों की सूजन, डाइविटीज, गठिया रोग, एलर्जी आदि प्रमुख हैं। अतः दूध एवं दूध से बने पदार्थों की जांच कराना आवश्यक है।
‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पैराट्यूबोकुलोसिस संस्था द्वारा इस जीवाणु के निदान एवं रोकथाम एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों के लिए विभिन्न संस्थानों द्वारा दो वर्ष में एक कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं। जहां बेहतर रिसर्च एवं कार्य करने वाले विश्वव्यापी वैज्ञानिकों में से एक या दो को दो वर्ष में एक बार होने वाले विश्वस्तरीय सम्मेलन में सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष यह कार्यक्रम कोविड 19 महामारी के कारण टल गया है। बहुत जल्द यह कार्यक्रम डबलिन में आयोजित किया जायेगा और आईएपी एमेरिट्स अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा।
अंतर्राष्ट्रीय पेराट्यूबर कुलोसिस संगठन द्वारा अवार्ड के लिए चुने पर जीएलए के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नीरज अग्रवाल ने प्रो. शूरवीर को बधाई दी।

 

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