Saturday, October 19, 2024
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“जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर किया गया ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन”

 

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जनपद न्यायालय मथुरा तथा जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 10.10.2020 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एक ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा की सचिव श्रीमती दीक्षा श्री, जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा के विधि विभाग के डीन प्रोफेसर डॉ अविनाश दधीच, राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन के मनश्चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ विशाल सिन्हा, ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन मीना मिश्रा, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ सुनीता रंजन सहित देश के प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मुख्य विषय “मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017” रहा।

ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का संचालन जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा के विधि विभाग के डीन प्रोफेसर डॉ अविनाश दधीचि द्वारा करते हुए इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला गया तथा बताया गया कि सोशल मीडिया ने एक तकनीकी समाज को जन्म दिया है, जिससे व्यक्ति की व्यक्ति से दूरी बढ़ गई है, जो कि एक तरह से मानसिक अवसाद का कारण बन गया है।

ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ मीना मिश्रा द्वारा बताया गया कि आज के इस तकनीकी एवं कंपलेक्स समाज में मानसिक बीमारी किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकती है। उन्होंने कहा कि संगीत व योग, मानसिक क्रिया को तरोताजा रखती है। अतः व्यक्ति को उचित योग एवं मनोरंजन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ सुनीता रंजन ने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 का विस्तृत रूप से विश्लेषण किया। साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 309 को दाण्डिक अपराध की परिधि से निकालने वाले माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भी प्रकाश डाला।

राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन के मनश्चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ विशाल सिन्हा ने कहा कि योगा एवं शारीरिक अभ्यास के साथ ही मानसिक बीमारी के कारणों को पहचानना होगा, तभी एक सार्थक हल मिलेगा। मानसिक समस्या का समाधान इस बात पर निहित है कि हम ऐसे व्यक्ति को उचित रूप से सुने। परिवार में अनिर्णायक तरीके से एक दूसरे की बातों को सुनना परम आवश्यक है। मानसिक रोग को एक बीमारी की तरह देखना चाहिए, न की एक सामाजिक निषेध के रूप में। तभी मानसिक रोग से जूझ रहे व्यक्तियों का उपचार किया जा सकता है।

कार्यक्रम के अंत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा की सचिव श्रीमती दीक्षा श्री द्वारा इस ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाए जाने हेतु उपस्थित सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। सचिव द्वारा कहा गया कि मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को भी जीवन का अधिकार है। मानसिक रोगियों के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए।

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