13 नवंबर यानी को उत्तर भारत में हनुमान जयंती भी मनाई जा रही है। कहते हैं हनुमान जयंती पर रामायण, रामचरित मानस का अखंड पाठ, सुंदरकाण्ड का पाठ और हनुमान बाहुक आदि का पाठ करने से बजरंगी बली प्रसन्न होते हैं। आज हनुमानजी के की जयंती पर आपको हनुमानजी से जुड़े दो राज आपको बताते हैं। पहला तो ये कि दुनिया में देवी-देवताओं के जन्मोत्सव एक दिन मनाया जाता है लेकिन हनुमानजी का जन्मदिवस यानि जयंती दो दिन क्यों मनाई जाती हैं। दूसरा ये कि आखिर हनुमानजी का नाम हनुमान क्यों पड़ा?
यूं मनाते हैं वर्ष में दो बार जन्मदिन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी का जन्मदिन एक साल में दो बार मनाते हैं। इसके पीछे का कारण है कि कर्क राशि से दक्षिण वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मानते हैं, जबकि कर्क राशि से उत्तर वासी हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मानते हैं।
इसलिए नाम पड़ा हनुमान
वायुपुराण में एक श्लोक वर्णित है- आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुति:। मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हर: शिव:।। यानी- भगवान हनुमान का जन्म कृष्ण पक्ष चतुर्दशी मंगलवार को स्वाति नक्षत्र की मेष लग्न और तुला राशि में हुआ था। हनुमान जी बाल्यकाल से ही तरह-तरह की लीलाएं करते थे। एक दिन उन्हें ज्यादा भूख लगी तो सूर्य को मधुर समझकर उसे अपने मुंह में भर लिया। जिसके कारण पूरे संसार में अंधेरा छा गया। इसे विपत्ति समझकर इंद्र भगवान ने हनुमान जी पर व्रज से प्रहार किया। इसके प्रभाव से उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई। यही वजह है कि इनका नाम हनुमान पड़ा।