मथुरा। सोमवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानि भाई दूज को देशभर से आए भाई बहनों ने विश्राम घाट पर यमुना में स्नान कर यम की फांस से मुक्ति पाई। हजारों भाईबहनों ने प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा को निभाने के लिए सुबह से ही यमुना के तट पर पहुंचे। यमुना में एकदूसरे को हाथ पकड़ कर स्नान करने के पश्चात बहनों ने आरती करते हुए अपने भाइयोें की लंबी उम्र की प्रार्थना की। इसके पश्चात बहनों ने अपने भाइयों को टीका किया और मिठाई खिलाई। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दिया। इसके बाद विश्राम घाट पर के प्राचीन यमुनाजी और धर्मराज के मंदिर में दर्शन किए। इस प्राचीन परंपरा और मान्यताओं का निर्वाह करने के लिए तड़के ही यमुना तट पर भाई-बहनोें की लंबी कतार देखी गई।
भाई दूज पर मोक्ष प्राप्ती की आशा में देश के कोने कोने से यम द्वितीया पर भाई-बहन चुम्बक की तरह मथुरा की ओर खिंचे चले आए। यमुना के तट पर ब्रज के साथ-साथ गुजरात, दिल्ली के लोगों की संख्या बहुत अधिक देखी गई। क्योंकि गुजराती यमुना और गिरिराज जी के अटूट भक्त हैं। अब दिल्ली और राजधानी के आसपास के लोग भी यमुना में यम द्वितीया स्नान के लिए आने लगे हैं।
यम द्वितीया पर मथुरा में यमुना के विश्राम घाट पर भाई बहन के साथ साथ स्नान से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि भाई दूज पर अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जब यमराज गए तो उन्होंने उनकी बहुत आवभगत की। अपनी आवभगत से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि आज के दिन जो भी भाई बहन साथ साथ यमुना में स्नान करें उन्हें यमलोक न जाना पड़े तथा सीधे मोक्ष मिल जाय। इस पर यमराज ने कहा कि चूंकि यमुना तो बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई हैं इसलिए वरदान को छोटा मांगों। इसके बाद यमुना के कहने पर उन्होंने वरदान दिया कि जो भाई बहन यमद्वितीया के दिन साथ साथ मथुरा में यमुना के विश्राम घाट पर स्नान करेंगे उन्हें यमलोक नही जाना पड़ेगा।
इसी कारण से भाई बहन यम द्वितीया पर मथुरा के विश्राम घाट पर साथ साथ स्नान करने के लिए मथुरा की ओर खिंचे चले आते हैं। वे यमुना में स्नान करने के बाद यमुना किनारे बने यमराज मन्दिर में पूजन के लिए जाते हैं जहां पर यमुना और धर्मराज की प्रतिमाए हैं। यमराज के दिये गए वरदान के कारण ही कहा जाता है कि यमद्वितीया पर मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना में स्नान से मोक्ष़ का द्वार खुल जाता है।