आगरा। ताजमहल खुलने के दो माह बीत जाने के बादजूद हस्तशिल्प उद्योग की स्थिति पहले जैसी नहीं हो पाई है। कोरोना संक्रमण का डर, पर्यटकों की सीमित संख्या के कारण मार्बल हैंडीक्राफ्ट, जरदोजी और कालीन जैसे उद्योग मंदी से उबर नहीं पा रहे हैं। लॉकडाउन से अब तक उद्योग को लगभग 930 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
कोरोना संक्रमण के चलते ताजमहल 6 माह के लिए बंद हो गया था। उद्यमी लगातार इसके खुलने की बाट जोह रहे थे। 21 सितंबर को स्मारक खुला, लेकिन बहुत अधिक फायदा नहीं पहुंचा। उद्यमियों के कहना है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द होने से विदेशी पर्यटक नहीं आए, जिनसे सबसे ज्यादा कारोबार मिलता है। दूसरी तरफ निर्धारित संख्या में टिकट की व्यवस्था होने से घरेलू पर्यटक भी सीमित हैं। इसके चलते अधिकांश बड़े एम्पोरियम अब तक बंद पड़े हुए हैं।
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यूरोप में लॉकडाउन लगने से निर्यात भी गड़बड़ाने लगा है। इन सबसे उद्यमी वर्ग तो त्रस्त है ही कारीगरों का और बुरा हाल है। 50 फीसदी कारीगरों ने अन्य कामों में हाथ आजमाना शुरू कर दिया है।
एक नजर में हैंडीक्राफ्ट उद्योग
स्टोन और मार्बल हैंडीक्राफ्ट
500 एंपोरियम
350 कारखाने
1500 करोड़ का टर्नओवर
700 करोड़ का नुकसान
30 हजार कारीगर
जरदोजी
100 कारखाने
70 शोरूम
100 करोड़ का टर्नओवर
80 करोड़ का नुकसान
30 हजार कारीगर
कालीन उद्योग
80 कारखाने
30 शोरूम
250 करोड़ का टर्नओवर
35 हजार कारीगर
150 करोड़ का नुकसान
संक्रमण-पर्यटकों की सीमित संख्या का असर
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया कि ताजमहल खुलने के दो माह बाद भी स्टोन व मार्बल हैंडीक्राफ्ट उद्योग संभला नहीं है। कोरोना संक्रमण, पर्यटकों की सीमित संख्या के चलते कारोबार लगातार प्रभावित हो रहा है। अब तक अनुमानित 700 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
कालीन के मुख्य खरीददार विदेशी पर्यटक
आगरा फ्लोर कवरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष रामदर्शन शर्मा ने कहा कि कालीन का मुख्य ग्राहक विदेशी पर्यटक है। सिर्फ पांच फीसद ही घरेलू पर्यटक खरीदारी करता है। पिछले 8 माह में अनुमानित 150 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
जरदोजी के 90 फीसदी कारखाने ठप
आगरा जरदोजी एसोसिएशन के अध्यक्ष फैजानुद्दीन ने कहा कि जरदोजी से जुड़े 90 फीसदी कारखानों में काम ठप पड़ा है। देशी विदेशी आर्डर लगातार निरस्त हो रहे हैं। आगे का भी पता नहीं है। अब तक 80 करोड़ का नुकसान हो चुका है।