नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मास्क न पहनने वालों से कोविड वार्ड में काम कराने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। गुजरात हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि जो लोग फेस मास्क नहीं पहन रहे हैं और सार्वजनिक जगहों पर बिना मास्क के घूमते दिखाई देते हैं उन्हें अस्पताल के कोविड वार्ड में काम करने के लिए भेजा जाए। ये एक तरह की सजा के तौर पर किया गया था। हालांकि सरकार ने गुजरात में फेस मास्क न पहनने वालों पर एक हज़ार रुपए का जुर्माना है।
गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना की गुजरात हाईकोर्ट का आदेश पालन करने योग्य नहीं है। इससे लोग करोना संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि लोग बिना मास्क पहने मॉल और शादी की पार्टियों में जा रहे हैं। मास्क पहनने को सख्ती से लागू करना ज़रूरी है।
कोरोना पॉजिटिव लोगों के घर के बाहर पोस्टर लगाने पर फैसला सुरक्षित
वहीं करोना संक्रमित लोगों के घर के बाहर पोस्टर लगाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह इस पर अपना विस्तृत फैसला देगा। सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताए कि उसने हर राज्य सरकार को पत्र लिखा है कि करोना मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाना ज़रूरी नहीं है। इससे लोगों की निजीता का हनन होता है। केंद्र सरकार के मुताबिक पोस्टर लगाने का फैसला राज्य सरकार का है। उसका मकसद ये है कि कोई अन्य व्यक्ति वहां जाने से बचे। ये करोना के रोकथाम के लिए किया गया है।