नई दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने बताया है कि भारत अपने लोगों को परिवार नियोजन के लिए बाध्य करने और बच्चा पैदा करने की संख्या निर्धारित करने के खिलाफ है। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि ऐसा करना जनसांख्यिकीय विकृतियों की ओर से ले जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है, जो लोगों को उनका परिवार कितना बड़ा हो तय करने और बिना किसी मजबूरी के परिवार नियोजन के तरीकों को अपने में सक्षम बनाता है।
भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें देश में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों की रणनीति के साथ और भी कुछ मांगों को खारिज कर दिया गया था। अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है।