बांए पैर से हो गया था लाचार, चिकित्सकों ने दी थी मुम्बई ले जाने की सलाह
ज्ञातव्य है कि आठ वर्षीय जतिन को सात माह पहले बांए पैर में दर्द की शिकायत हुई। दर्द बढ़ने के साथ ही उसका बायां पैर सुन्न अवस्था में पहुंच गया। बच्चे को चलने-फिरने में पूरी तरह से असमर्थ होता देख उसके माता-पिता परेशान हो गए। जतिन के माता-पिता ने उसे मथुरा के कई चिकित्सालयों में दिखाया। चिकित्सकों ने बच्चे की तरह-तरह की जांचें भी कराईं और अंत में उसे टाटा कैंसर हॉस्पिटल मुम्बई ले जाने की सलाह दी। कोरोना संक्रमण और जतिन की चलने में असमर्थता को देखते हुए आखिरकार गोवर्धन निवासी प्रेमकुमार उसे के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर लाए और विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. विक्रम शर्मा और डॉ. विवेक चांडक (माहेश्वरी) से मिले।
के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने प्रमुख जांचों का अवलोकन करने के बाद प्रेमकुमार को जतिन के पैर की शल्य क्रिया करने की सलाह दी। परिजनों की रजामंदी के बाद के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों की टीम ने जतिन के बांए पैर के घुटने के नीचे पिछले हिस्से के ट्यूमर और खराब हो चुकी हड्डी को निकालने में सफलता हासिल की। इस शल्य क्रिया पर डॉ. विवेक चांडक का कहना है कि यह नर्व और आर्टरी का मामला था। दरअसल, जतिन के बांए पैर की नस और खून की नली ट्यूमर में फंसी थी। हम लोगों ने पांव की नस और खून की नली को बचाते हुए शल्य क्रिया को अंतिम रूप दिया, जोकि पूरी तरह से सफल रही। के.डी. हॉस्पिटल में उपचार के बाद अब जतिन पूरी तरह स्वस्थ है। बेटे के स्वस्थ होने के बाद उसके माता-पिता भी बेहद खुश हैं।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल, डीन डॉ. रामकुमार अशोका तथा चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने जतिन की सफल सर्जरी के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है।