के.डी. डेंटल कालेज की डॉ. प्रीति सागर ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में लेजर तकनीक पर प्रकाश डाला
मथुरा। द चेसा अकादमी द्वारा लेजर इन प्रोस्थोडॉन्टिक्स और ऑर्बिटल प्रोस्थेटिक रिहैबिलिटेशन विषयों पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में के.डी. डेंटल कालेज एण्ड हास्पिटल के प्रोस्थोडॉन्टिक्स और प्रत्यारोपण विभाग की डॉ. प्रीति सागर ने अपने उद्बोधन में कहा कि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में लेजर विधि अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। लेजर चिकित्सा में दवाओं की भूमिका कम होती है और मरीज को जल्दी आराम मिल जाता है। संगोष्ठी में उन्होंने अपनी केस रिपोर्ट भी पेश की और छात्र-छात्राओं को विभिन्न उपचार विकल्पों के बारे में जागरूक किया। संगोष्ठी में देश भर के कई शहरों के छात्रों और दंत चिकित्सकों ने सहभागिता की।
संगोष्ठी में अतिथि वक्ता के रूप में डॉ. प्रीति सागर ने कहा कि दंत चिकित्सा में लेजर तकनीक नई विधा है, इससे दर्दरहित ऑपरेशन सम्भव है। डॉ. सागर ने भावी दंत चिकित्सकों को बताया कि लेजर डेंटिस्ट्री दंत चिकित्सा के क्षेत्र में किसी चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा अब केवल बीमारी को ठीक करने तक सीमित नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य खोई हुई जगह को बदलना भी है। इस क्षेत्र में कृत्रिम अंग और मैक्सिलोफैशियल कृत्रिम अंग वरदान के रूप में साबित हुए हैं।
डॉ. प्रीति सागर ने बताया कि भारत में दंत चिकित्सा में लेजर का उपयोग पिछले 10-12 साल से किया जाने लगा है। लेजर तकनीक रक्तहीन, दर्दरहित, दवा रहित उपचार है। इस तकनीक के उपचार में संक्रमण की सम्भावना काफी कम होती है। डॉ. सागर ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में यह विधि बहुत ही कारगर है।
डॉ. सागर ने कहा कि मैक्सिलोफैशियल पुनर्वास न केवल दोष को ठीक करता है बल्कि रोगी के जीवन की गुणवत्ता और आत्म-सम्मान में भी इजाफा करता है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम अंग व्यक्तियों को अपने सामाजिक और पारिवारिक वातावरण में पुन: स्थापित करने की अनुमति देते हैं, जिससे वे अधिक खुश और अधिक आश्वस्त होते हैं। डॉ. सागर ने बताया कि सभी दंत चिकित्सकों का अंतिम उद्देश्य खुद को अग्रिम ज्ञान और प्रौद्योगिकी से अच्छी तरह से सुसज्जित करना रहता है। के.डी. डेंटल कालेज एण्ड हास्पिटल के डीन डॉ. मनेश लाहौरी ने डॉ. प्रीति सागर के विचारों का समर्थन करते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी में मुख्य वक्ता बनने पर बधाई दी।