नई दिल्ली। भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के किसान को अन्नदाता इसलिए कहा जाता है कि वह गर्मी, सर्दी और बरसात सहकर और मेहनत कर देशवासियों के लिए अपने खेत में अन्न की पैदावार करता है। तभी देशवासियों को तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन मिलता है। आज हम किसान के बारे में ये सब बातें इसलिए कर रहे हैं कि आज का दिन किसानों के लिए विशेष है। यानि किसान के प्रति आभार प्रकट करने का दिन 23 दिसंबर है जिसे देश में किसान दिवस के रुप में मनाया जाता हैँ।
आपको बता दें कि आज के आज ही के दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के कल्याण और उनकी स्थितियों को सुधारने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। चौधरी चरण सिंह जुलाई 1979 और जनवरी 1980 तक पांचवे प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा की।
किसान दिवस के मौके पर पूरे देश में इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों, बैठकों, प्रतियोगिताओं, गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी की वजह से इन कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया। किसान दिवस के दिन देश प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भी याद करता है। उन्होंने देश की खुशहाली के लिए प्रधानमंत्री के रूप में अपने छोटे कार्यकाल में किसानों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। किसानों के कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए अग्रणी कार्यों की वजह से चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन यानी 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
चौधरी चरण सिंह ने 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट की स्थापना की। इससे पहले, उन्होंने 1939 में विधानसभा में कृषि उत्पादन बाजार विधेयक पेश किया। 1952 में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया और 1953 में जमींदारी प्रथा को समाप्त कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री को याद करने के अलावा इस दिन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है। आज के दिन किसानों और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए कई जागरूकता अभियान और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हालांकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज जब पूरा देश अपने अन्नदाता के सम्मान में ‘किसान दिवस’ मना रहा है, लेकिन हमारे ही किसान आज दिल्ली की सड़कोंं पर कड़ाके की ठंड में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर उत्तर भारत के किसान पिछले 28 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच सरकार ने किसानों को मनाने की कोशिश भी की लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं हो सका है।