Monday, November 25, 2024
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नशे की दवा का कारोबार का एक और खुलासा, सरकारी दवाइयां भी बेचता था पंकज

आगरा। आगरा में एक दवा तस्कर के यहां औषधि विभाग के छापे के बाद कई चौकाने के वाले नए राज सामने आ रहे हैं। दवा तस्कर न केवल घर में नशे की दवाइयां तैयार कर रहा था बल्कि सरकारी दवाइयों को भी बेच रहा था। वह सरकारी सिस्टम में सेंधमारी कर मध्य प्रदेश के ग्वालियर और भोपाल से सरकारी दवाइयां मंगाता था। इन दवाइयों की फिर से पैकिंग कर बाजार में सप्लाई करता था। यह जानकारी दवा तस्कर पंकज उर्फ चंद्रकांत गुप्ता के बेटे अमन गुप्ता से पूछताछ में दी है।


आपको बता दें कि बीते दिनों औषधि विभाग ने वाटर वक्र्स से तीन दिन पहले दवाइयों से भरा ऑटो पकड़ा था। इसकी जांच हुई तो पता चला कि ये सरकारी दवाइयां हैं, पैकिंग बदली गई है। पंकज गुप्ता के घर से इन दवाइयों के बिल मिले। मिलान करने पर पता चला कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर और भोपाल के अस्पतालों की दवाइयों की फिर से पैकिंग की गई है।

पंकज ने पांच साल में खड़ा कर लिया नशे की दवाओं का साम्राज्य

तस्कर पंकज के बेटे अमन और भाई सूर्यकांत से पूछताछ में पता चला कि पंकज पांच साल पहले दवा कंपनी के लिए दवा सप्लाई का काम करता था। उसने मेडिकल स्टोर खोला। इसके बाद मानसिक रोग की दवाइयों को नशे के लिए बेचने लगा। पहले वह आगरा गैंग के विक्की अरोड़ा के लिए काम करता था। विक्की अरोेड़ा भी कमला नगर का है। उसने ही आगरा गैंग खड़ा किया जो पंजाब में नशे की दवाएं सप्लाई करता है। इसके बाद पंकज के संबंध प्रमोद जयपुरिया से हो गए। वह अपना अलग गिरोह चलाता है।

एमपी सराकार को भेजी जाएंगी दवाएं

औषधि विभाग ने बताया कि छापे के दौरान जब्त की गई दवाओंाके वह मध्यप्रदेश सरकार को भेजेगा। इन दवाओं में 40 बुखार-खांसी की और एंटीबायोटिक हैं।

तस्करों की सरकारी अस्पतालों में भी सेंधमारी

औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दवाएं हैं। इनकी पैकिंग बदलकर बाजार में बेचने की आशंका है। इस सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाकर मध्यप्रदेश सरकार को विशेष टीम बनाकर जांच कराने की मांग करेंगे।

तीन साल पहले शुरू की गर्भपात किट की सप्लाई

तीन साल पहले पंकज ने नशे की दवाइयों के साथ गर्भपात किटों की सप्लाई शुरू कर दी। इनकी मांग राजस्थान से आई थी। वहां बड़ी खपत हुई तो कारोबार को फैला लिया। भ्रूण लिंग परीक्षण के रैकेट से मिल गया। इसके बाद हरियाणा भी दवाई भेजने लगा।

औषधि अफसरों के सामने अभी ये हैं चुनौतियां

  • पंकज गुप्ता हाथ नहीं आया है, उससे पूछताछ के बिना उसके राज पूरी तरह से नहीं खुल पाएंगे।
  • बेटे अमन ने बताया है कि पंकज की फैक्टरी भी है लेकिन यह कहां है, पता नहीं चल पाया है।
  • रैकेट में 50 से ज्यादा लोग होने की आशंका है लेकिन नाम सिर्फ 17 के मिल पाए हैं।
  • सरकारी अस्पतालों से दवा चोरी करने वालों की पहचान नहीं हो पाई है।
  • पंकज की गैरहाजिरी में उसका कारोबार एक महिला संभालती है, उसका भी पता नहीं चल पाया है।

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