Sunday, November 24, 2024
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इसरो साइंटिस्ट तपन मिश्रा का बड़ा खुलासा, हेडक्वार्टर में दिया गया था जहर!

विज्ञान की दुनिया में इस कदर की रेस है कि कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। चाहे इसके लिए किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़े। यही कारण है कि पहले भी देश के कई वैज्ञानिकों की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो हो चुकी है और अब ऐसा ही कुछ इसरो के वैज्ञानिक पतन मिश्रा के साथ हुआ। उन्हें भी जहर देकर मारने का षड़यंत्र रचा गया।

इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। यह जहर उन्हें प्रमोशन इंटरव्यू के समय दिए गए नाश्ते में मिलाकर दिया था। जिसकी वजह से उन्हें 30 से 40 फीसदी ब्लड लॉस हुआ था। उन्हें एनल ब्लीडिंग हो रही थी। अस्पताल में भर्ती कराए जाने पर बड़ी मुश्किल से जान बची थी। तपन मिश्रा ने अपने साथ हुई इस घटना को फेसबुक पर पोस्ट किया है।

तपन मिश्रा ने एक खबरिया चैनल पर अपने फेसबुक पोस्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि घर पर जो आर्सेनिक देते हैं, वो ऑर्गेनिक होता है. जो जहर उन्हें दिया गया था वो एक इनरवेरिक ऑर्सेनिक है। यह पानी में नहीं घुलता। यह एक तरह का क्रिस्टल होता है। इसकी वजह से मॉलीक्यूलर एक्सपेंशन होता है। यह बेहद दुर्लभ होता है। किसी इंसान को मारने के लिए यह सिर्फ 1 ग्राम काफी होता है। मुझे शक है कि मुझे जहर दिया गया था। मैं चाहता हूं कि इसकी जांच की जाए। मैंने किसी को शिकायत नहीं की है। मैं किसी से मिल नहीं सकता।

तपन ने कहा कि मुझे लगातार दो साल इलाज करना पड़ा। इसलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की। इस घटना के बाद मैं अकेला जीवित व्यक्ति हूं। क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता। मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं। इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया। मेरा जीवन खतरे में है। मैं लोगों को इसके बारे में बताना चाहता हूं। मैं सिर्फ अपने सर्वाइवल के लिए ऐसा करता रहा। मैं चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले कि अगर मैं मर जाऊं तो मेरे साथ क्या-क्या हुआ था।

तपन मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें कभी-कभी बड़े वैज्ञानिकों के संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है। साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी। उसके बाद 1999 में वीएसएससी के निदेशक डॉक्टर एस श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था। लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा।

तपन मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया था। यह उन्हें उनके प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान इसरो हेडक्वार्टर बेंगलुरु में चटनी और दोसाई में मिलाकर दिया गया था। जिसे उन्होंने लंच के कुछ देर बाद हुए नाश्ते में खाया था। इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं। इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे। तपन मिश्रा साइंस/ इंजीनियर एसएफ ग्रेड से एसजी ग्रेड के लिए इंटरव्यू देने गए थे।

अहमदाबाद लौटने के बाद तपन मिश्रा को एनल ब्लीडिंग हो रही थी। इसकी वजह से उनके शरीर से 30 से 40 फीसदी ब्लड लॉस हुआ था। तपन मिश्रा को अहमदाबाद के जाइडल कैडिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। त्वचा निकल रही थी। हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थे। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था।

तपन मिश्रा ने अपना इलाज जाइडस कैडिला, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया। इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया. तपन मिश्रा ने पोस्ट में लिखा है कि देश के प्रसिद्ध फोरेंसिक स्पेशलिस्ट डॉ सुधीर गुप्ता ने उन्हें बताया कि उन्होंने अपने जीवन में जहर के जीवित स्पेसीमेन को पहली बार देखा है। ये जहर मॉलीक्यूलर ग्रेड एएस 203 स्तर का है।

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