अरुण यादव की रिपोर्ट
वृंदावन। दक्षिण भारतीय रँगनाथ मन्दिर में चल रहे माँ गोदम्मा के विवाहोत्सव के तीसरे दिन माँ गोदम्मा की सवारी घूंघट धारण किये निज मन्दिर से निकली। घूंघट धारण करने के पीछे मान्यता है कि माया रूपी संसार ने सभी को भगवान से अलग कर दिया है। इसीलिए घूंघट धारण करने के बाद माया रूपी संसार नहीं दिखता। इसी माया रूपी संसार से बचने के लिए माँ गोदम्मा घूँघट ओढ़कर जाती हैं।
माँ गोदम्मा जी सवारी निज मन्दिर से बिना भजन, गायन के शेषशायी विष्णु भगवान के समक्ष पहुँचती हैं। जहाँ उनको भगवान की माला पहनाई जाती है।
मंदिर प्रबंधन की सदस्य माल्दा गोवर्धन के बताया कि भगवान की माला प्राप्त होने से प्रसन्न हो कर माँ गोदम्मा गाजे बाजे के साथ चाँदी की पालकी में विराजमान हो कर अपनी शादी का निमंत्रण देने के लिए निकलती हैं। माँ गोदम्मा की सवारी मण्डप में पहुँचती है, जहाँ उनको झूला झुलाया जाता है और फिर उनको उबटन, तेल आदि लगाकर अभिषेक किया जाता है और इसके बाद उनके केश संभाले जाते हैं। उत्सव के चौथे दिन मंगलवार को माँ गोदम्मा जी का भात दिया जाएगा।