हम सब लोगों ने कामसूत्र किताब के बारे में तो सुना ही होगा। उस किताब के अंदर क्या है। लेकिन, आज के आधुनिक समय में लोग उस किताब को बस शारीरिक संबंध से जुड़ी किताब मानते हैं। वास्तविकता में इस किताब का यह उद्देश्य नहीं था।
हालांकि भारत को कामसूत्र की भुमि कहते है। यह किताब सदियों पहले लिखी गई थी। लेकिन आज के समय मे कामसूत्र का नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहली सोच आती है शारीरिक संबंधित क्रियाएं। लेकिन इसका मतलब किसी चीज से जो आनंद का अनुभव होता है।
उसको कामसूत्र कहते हैं। इस किताब में शारीरिक संबंधित कुछ क्रियाओं को समझाया गया है। इस किताब को तीसरी शताब्दी में लिखा गया था। इस किताब मुख्य उद्देश्य था की स्त्री और पुरुष दोनों के सम्मान की बात की गई है। इसमें बताया गया है कि किसी स्त्री के सहमति के बिना संभोग क्रिया करना गलत है। इसके लिए दोनों की सहमति जरुरी है।
देश के कई मंदिर ऐसे हैं जहां नग्न तस्वीरें और मूर्तियां मिल जाएंगी। कई तस्वीरों में पुरुषों और महिलाओं की कामुकता को दिखाया गया है। ऐसी तस्वीरें ये बताती है कि उस समय की कहानी और मानसिकता किस तरह की थी। भारत में मुगलों के आने से कामसूत्र पर खुलकर बात होने के सबूत मिलते हैं।
कामसूत्र, मुगलों के आने के बाद महिलाओं को पर्दे मे रखा जाने लगा। लेकिन आज के समय में जो भी इसके बारे में बात करते है तो लोगों का सिर शर्म से नीचे हो जाता है और लोग उसका स्वभाव खराब माना जाता है।