आगरा। एक डॉक्टर को कोरोना वैक्सीन लगवाने के सात दिन मौत का मामला सामने आया है। डाक्टर बेटे ने स्वास्थ्य विभाग पर जांच न कराने के आरोप लगाए हैं। निजी अस्पताल संचालक दिल्ली गेट हरीपर्वत निवासी डा पुनीत नथानी ने बताया कि उनके पिता डा. किशन नथानी (77) का मधुमेह और पार्किंसंस का इलाज चल रहा था। 28 जनवरी को शहरी स्वास्थ्य केंद्र लोहामंडी वन में कोरोना वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन लगने के बाद भूख लगना बंद हो गया। 30 जनवरी को तबीयत बिगड़ गई, उन्हें टेम्परेरी पेसमेकर लगाया गया।
हालत में सुधार ना होने पर मैक्स हास्पिटल, गाजियाबाद रेफर कर दिया गया। वहां जांच में पता चला कि वे रीनल फेल्यर में चले गए हैं। इसके बाद कोमा में चले गए, आरोप है कि इसकी सूचना 1075 टोल फ्री नंबर पर दी। उन्होंने वैक्सीनेटर से संपर्क करने के लिए कहा, उससे भी संपर्क किया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा एसके वर्मन को सूचना दी गई। ईमेल भी किए। मगर, इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। चार फरवरी को मौत हो गई। पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया।
वैक्सीन बुजुर्ग मरीज, मधुमेह रोगियों को लगवाने के लिए कहा जा रहा है, क्योंकि इन्हें सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे में मेरे पिता की मौत वैक्सीन लगने के बाद हुई है। इस पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए, जिससे किसी अन्य केस में इस तरह की समस्या ना आए। मगर, स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से नहीं ले रहा है, पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एसके वर्मन का कहना है कि डा. किशन नथानी को पहले से ही कई समस्या थीं, वैक्सीन लगने के दो दिन बाद तबीयत खराब हुई है। वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट होता तो तुरंत होता। अभी तक किसी अन्य को इस तरह की समस्या नहीं हुई है। इस मामले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच कराई जाएगी।