लंदन। यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने मंगलवार को दुनिया की सबसे महंगी दवा को मंजूरी दी। जो एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार को रोक सकती है। एनएचएल इंग्लैंड के आधिकारिक बयान के अनुसार इस दवा का नाम जोलजेन्स्मा है जिसे नोवार्टिस जीन थेरेपिस ने बनाया है। इसके एक डोज की कीमत 18 करोड़ रुपए है। यह मेडिसिन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए बनी है।
Today, we are proud to announce that children in England and Scotland suffering from #SpinalMuscularAtrophy (SMA) now have access to another treatment option. #MedicalInnovation #Novartis pic.twitter.com/oR0Fbnemtw
— Novartis Gene Therapies (@NovartisGene) March 8, 2021
क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक दुर्लभ बीमारी है। जो अक्सर शिशुओं और बच्चों को प्रभावित करती है। इंग्लैंड में हर वर्ष करीब 80 बच्चे इस बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इस बीमारी में बच्चों के मांसपेशियों इस्तेमाल करना बंद हो जाती है। इसमें उन्हें स्पाइनल कॉर्ड में लकवा हो सकता है। यह विशेष कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है, जिसे मोटर न्यूरॉन्स कहा जाता है, जो मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं।
जोलजेन्स्मा कैसे करता है काम?
जोलजेन्स्मा का इस्तेमाल उन बच्चों पर किया जाएगा जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित हंै। यह एक डोज शरीर में लापता जीन को वापस रिस्टोर करके नर्वस सिस्टम को ठीक करता है। जोलजेन्स्मा दवा वेंटिलेटर के बिना सांस लेने में शिशुओं की मदद सकता है। नवीनतम आंकड़ों में कहा गया कि जोलजेन्स्मा टाइप 1 एसएमए वाले छोटे बच्चों के मोटर फंक्शन में तेजी और निरंतर सुधार प्रदान कर सकता है। जिसे वह ज्यादा जीवन जी सकेंगे।
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Posted by Neo News-Har Pal Ki Khabar on Thursday, 11 March 2021