मथुरा। वृंदावन कोतवाली क्षेत्र में 22 साल पहले एक व्यक्ति की हत्या के मामले में अदालत ने दो लोगों को दोषी करार दिया। अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपए का अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
वृंदावन के चौमुहां क्षेत्र में 22 साल पहले 7 जनवरी 1998 को नौहझील के पालीखेड़ा गांव निवासी हाकिम सिंह की हत्या के मामले में एडीजे प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार पांडे की अदालत ने सुनवाई की। गवाह और सबूतों के मद्देनजर ट्रक में सवार अलीगढ के थाना खैर के गांव उदयपुर निवासी जगना और उसका साथी महेश को हाकिम सिंह की हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता सूर्यवीर सिंह के मुताबिकसात जनवरी 1998 को हाकिम सिंह अपने चचेरे भाई महिपाल के साथ आगरा से ट्रक में तारकोल भरकर छाता आ रहा था। जब वह भगवान टॉकीज के समीप पहुंचे तो हाकिम सिंह की जान-पहचान के जगना और महेश मिले जो ट्रक में सवार हो गए। बताया गया कि इसके बाद जगना और महेश ने उन्हें शराब पिलाई जिसके बाद हाकिम सिंह के चचेरे भाई महिपाल की आंखें लग गई। थाना वृंदावन के चौमुहां स्थित एक ढाबे पर जब महिपाल की आंख खुली तो उसने देखा कि उसका भाई हाकिम सिंह ट्रक में मृत अवस्था में पड़ा है और उसके गले में फंदा पड़ा हुआ था।
महिपाल ने देखा कि जगना और महेश ट्रक को खींचने का प्रयास कर रहे थे। एक व्यक्ति ट्रक की स्टेरिंग पर बैठा था और दूसरा ट्रक को धक्का लगा रहा था। उसने इसकी तत्काल सूचना पुलिस को दी और साथ ही हत्यारोपियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया।
इस मामले में एडीजे फस्र्ट अनिल कुमार पांडे की अदालत ने दोनों हत्यारोपी अलीगढ जिले के थारा खैर के गांव उदयपुर निवासी जगन और उसका साथी महेश को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई साथ ही दोनों पर 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।