आगरा। फर्जी दस्तावेज से सेना में भर्ती कराने का झांसा देने वाले गैंग के दो सदस्यों को पुलिस ने पिनाहट के भदरौली पुलिया से गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए दोनों आरोपी युवाओं से पांच लाख रुपये में भर्ती कराने का ठेका लेते थे। इस गैंग का सरगना फर्जी दस्तावेज तैयार कराता था। गैंग के फरार दो साथियों की तलाश में पुलिस लगी है।
एसपी ग्रामीण पूर्वी के वेंकट अशोक ने बताया कि मुखबिर से सूचना पर रविवार रात को भदरौली पुलिया पर घेराबंदी कर गैंग के दो सदस्य मनोज कुमार निवासी गांव गुर्जा शिवलाल, थाना पिढ़ौरा और नीरज परिहार निवासी नगला भरी, थाना बसई अरेला को गिरफ्तार कर लिया है। यह दोनों पनाहट में फर्जी दस्तावेजों से सेना में भर्ती कराने का ठेका लेने वाला गैंग के सक्रिय सदस्य हैं। गैंग फर्जी अंकतालिका, निवास प्रमाण पत्र और अन्य कूटरचित दस्तावेज तैयार करता है। भर्ती कराने के बाद फर्जी पते का सत्यापन कराते हैं। पकड़े गए आरोपियों के पास से पुलिस ने कूटरचित अंकतालिका, मूल निवास प्रमाणपत्र, प्रवेशपत्र, आधार कार्ड, रजिस्टर, चार मोबाइल बरामद हुए हैं। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
गिरोह में सरगना सहित पांच सदस्य
एसपी ग्रामीण के वेंकट अशोक के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह ऐसे युवकों से संपर्क करते हैं, जो सेना में भर्ती नहीं हो पाते हैं। इन युवकों को भर्ती कराने का आश्वासन देते हैं। युवकों के तैयार होने पर पांच लाख रुपये में बात करते हैं।
सौदा तय होने पर गिरोह के सरगना सरगना धौलपुर के राजाखेड़ा स्थित गांव डडवार निवासी सुरेंद्र सिंह के पास ले जाते हैं। सुरेंद्र पूर्व में सिकंदरा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसे जेल भेजा जा चुका है। सिकंदरा में आयोजित सेना भर्ती में 20 से अधिक युवक पकड़े गए थे। वह भर्ती में सेंध लगा रहे थे।
गैंग के ये इन दो सदस्यों की तलाश में पुलिस
एडवांस के रूप में रकम लेने के बाद भर्ती स्थल पर ले जाते हैं। गिरोह में सुरेंद्र सिंह के अलावा दीपू उर्फ दीपक (नगला दलेल, थाना पिनाहट) और साधू यादव उर्फ दीपक यादव (किंदरपुरा इटायली थाना बाह) भी हैं। वह दोनों फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
पुलिस पूछताछ में नीरज ने कबूला ये गुनाह
पुलिस की पूछताछ में नीरज ने बताया कि उसने इंटरमीडिएट किया है। वह भी सेना में जाना चाहता था। मगर, उम्र अधिक होने के कारण भर्ती नहीं हो सका। आगरा की भर्ती में शामिल होने गया था। तब उसने यशवेंद्र नाम से फर्जी अंकतालिका, आधार कार्ड बनवाए मगर, भर्ती नहीं हो सका। वह भी अभ्यर्थियों को खोजने का काम करता है।