मथुरा। ब्रज की सुप्रसिद्ध होली के बाद प्राचीन काल से चली आ रहे हुरंगा की परंपरा का निर्वाह श्रीहित हरिवंश चन्द्र महाप्रभु की प्राकट्य स्थली बाद गांव स्थित श्रीजी मंदिर में हुआ। सुबह से ही श्रीकृष्ण वट पर होरी की धमार एवं तारा महल में वृन्दावन से आए समाजियों द्वारा समाज एवं बधाई गायन किया गया। सखियों ने अष्ट सखियों के समक्ष अपने आराध्य को रिझाने के लिए मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया।

ब्रज में बसंत पंचमी से शुरू होने वाले चालीस दिवसीय फाग महोत्सव का विश्राम ब्रज की होली एवं हुरंगा के साथ रंग पंचमी के दिन मनाया गया। ब्रज में चलने वाले चालीस दिवसीय फाग महोत्सव का आनंद लेने के लिए देश-विदेशों से श्रद्धालु यहां आए। महाप्रभु जी की जन्मभूमि में होरी की धमार समाज गायन बधाई गायन के पदों के साथ हरिनाम संकीर्तन में श्रद्धालु झूमते हुए रंग पंचमी के दिन होरी व हुरंगा का जमकर लुत्फ उठाया।
वृंदावन बड़ा रासमण्डल के महंत लाड़िली शरण ने कहा कि ब्रज की होली की परंपरा देवकाल से चली आ रही है। ब्रज के मंदिरों में होली का सिफ खेलना ही नहीं है। उसे द्वापर युग में भगवान राधाकृष्ण और उनके ग्वालबाल द्वारा की गई होली की लीलाओं की वहीं पुरानी परंपराओं का निर्वाह किया जा रहा है। ब्रजवासी उस प्राचीन परपरां को जी रहे हैं। समाज गायन और अपने आराध्य की लीलाओं को अन्तचक्षुओं से देख रहे हैं।
हाथिया के जंगल में अवैध शस्त्र फैक्ट्री का भंडाफोड़, 2 गिरफ्तार, शस्त्र बरामद
Posted by Neo News-Har Pal Ki Khabar on Saturday, 3 April 2021