लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ मे एक ही मरीज की कोरोना रिपोर्ट 72 घंटे के अंदर दो बार निगेटिव और दो बार पॉजिटिव आने से जांच करने वाली लैब की प्रमाणिकता पर प्रश्नचिह़न लग गया है। इससे मरीजों की जान मुश्किल में पड़ रही है।
मंगलवार को आगरा निवासी एक युवक की तबीयत पॉजिटिव और निगेटिव रिपोर्ट के बीच खराब हो गई। उसके बाद वह भर्ती होने के लिए कोविड कंट्रोल रूम से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक को फोन लगाता रहा, मगर कोई मदद नहीं मिली। युवक के अनुसार उसने दो बार सरकारी और दो बार निजी लैब में कोरोना की जांच कराई। हर बार भ्रमित करने वाली रिपोर्ट प्राप्त हुई।
इस बीच उसे बुखार, गले में संक्रमण तेज होने के साथ सांस फूलने लगी। आक्सीजन का स्तर गिरने के बाद वह विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होने के लिए चक्कर काटता रहा। शाम करीब चार बजे युवक लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा। मगर, वहां भी उसे भर्ती नहीं किया गया। युवक को रोते देखकर वहां मौजूद पुलिसकर्मी भी कोविड कंट्रोल रूम से संपर्क करते रहे, मगर कोई रास्ता नहीं निकल सका। पुलिसकर्मियों ने मामले की सूचना स्वास्थ्य विभाग को भी दे दी। इससे दो दिन पहले भी एक मरीज की रिपोर्ट देर से अपलोड किए जाने से उसका इलाज नहीं किया जा सका। इससे उसकी मौत हो गई थी।
सीएमओ डा. एमके सिंह ने कहा ‘हमारी टीम जांच में गड़बड़ी करने वालों पर लगातार सख्ती कर रही है। पिछले 15 दिनों में कई लैब इसी गड़बड़ी के चलते सील भी किए जा चुके हैं। मरीज और उसके तीमारदार स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करेंगे तो उनकी पूरी मदद की जाएगी।